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कष्टों से छुटकारा पाने के लिए नवरात्रि पर करें दुर्गा सप्तशती का पाठ
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि 2 अप्रैल, शनिवार को है। इसके साथ ही चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी। इस पर्व को पूरे भारत में बहुत ही धूमधाम तरीके से मनाया जाता है। 2 अप्रैल से शुरू होने वाले नवरात्रि 11 अप्रैल को रामनवमी के साथ समाप्त होगी। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाएगी। इसके साथ ही नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना काफी लाभकारी होता है।
नवरात्रि के दिनों में रोजाना दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से घर की निगेटिव एनर्जी बाहर निकल जाती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसके साथ ही देवी मां प्रसन्न होकर भक्तों के ऊपर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखती हैं। लेकिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय विशेष सावधानी बरतनी जरूरी है। वरना जातक को पूरा फल की प्राप्ति नहीं होती है।
काफी खास है दुर्गा सप्तशती
बता दें कि दुर्गा सप्तशती में 13 अध्यायों में 700 श्लोकों के द्वारा मां दुर्गा की आराधना की जाती है इस अध्यायों में देवी मां के तीन चरित्रों के बारे में विस्तार से बताया है। इस चरित्रों को प्रथम, मध्यम और उत्तम चरित्र के नाम से जाना जाता है।
मां की वंदना के हैं तीन अध्याय
दुर्गा सप्तशती के पहले अध्याय में प्रथम चरित्र का वर्णन है। इसमें मां काली की आराधना की जाती हैं। दूसरे से लेकर चौथे अध्याय में मां के मध्यम चरित्र के बारे में बताया गया है। इसमें महालक्ष्मी की आराधना की जाती है। वहीं पांचवें से लेकर 13वें भाग में मां के उत्तम चरित्र का वर्णन है जिसमें मां सरस्वती की आराधना की जाती है।
दुर्गा सप्तशती का बात करते समय ध्यान रखें ये बातें
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। इसके लिए कलश स्थापना जरूर करें। इसके बाद उनकी विधिवत तरीके से पूजा करें।
दुर्गा सप्तशती पाठ को हमेशा साफ सुथरे लाल रंग के कपड़े को बिछाकर रखना चाहिए। इसके साथ ही हमेशा पुष्प, कुमकुम और चावल से पूजा करें।
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले शापोद्धार करना बेहद जरूरी है। क्योंकि इसके हर मंत्र को वशिष्ठ, ब्रह्मा जी और विश्वामित्र से शाप मिला है।
दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले नवार्ण मंत्र, कीलक, कवच और अर्गला स्तोत्र का पाठ जरूर करें। इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
दुर्गा सप्तशती का पाठ करते वक्त शब्दों का सही और स्पष्ट उच्चारण करना बहुत जरूरी है।
दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय किताब को कभी भी हाथ में लेकर नहीं पढ़ना चाहिए। इसे आप किसी चौकी, स्टैंड आदि में रखकर ही पढ़ें। इससे देवी मां जल्द प्रसन्न होती है।