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हिंदू धर्म में साल के 15 दिन पूर्वजों को समर्पित किए गए है जिसे पितृपक्ष के नाम से जाना जाता है इस दौरान लोग अपने मृत परिजनों को श्रद्धा पूर्वक याद कर उनका श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं पंचांग के अनुसार पितृपक्ष हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आरंभ होकर अश्विन मास की अमावस्या पर समाप्त हो जाता है। इस बार पितृपक्ष की शुरुआत 29 सितंबर दिन शुक्रवार यानी की आज से हो चुकी है और समापन 14 अक्टूबर को हो जाएगा।
इस दौरान लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्राद्ध पक्ष के दिनों में पूर्वज स्वर्ग से धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान को स्वीकार कर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करते हैं ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा तर्पण की संपूर्ण विधि बता रहे हैं।
पितृपक्ष में इस विधि से करें तर्पण—
पितृपक्ष के दिनों में रोजाना पूर्वजों के लिए तर्पण करने का विधान होता है। ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं ऐसे में तर्पण के लिए आपको कुश, अक्षत, जौ और काले तिल का प्रयोग करना चाहिए। तर्पण करने के बाद पितरों से प्रार्थना करें और अपनी गलतियों के लिए क्षमा जरूर मांगे। तर्पण के दौरान मंत्रों का जाप भी जरूर माना गया है तो ऐसे में नीचे दिए गए मंत्रों का जाप भी करें।
प्रार्थना मंत्र
1- पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
सर्व पितृभ्यो श्र्द्ध्या नमो नम:।।
2- ॐ नमो व :पितरो रसाय नमो व:
पितर: शोषाय नमो व:
पितरो जीवाय नमो व:
पीतर: स्वधायै नमो व:
पितर: पितरो नमो वो
गृहान्न: पितरो दत्त:सत्तो व:।।
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