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शनि के कठोर दंड से बचने के लिए शनिवार को सूर्यास्त के बाद जरूर करें ये काम
शनि देव की पूजा और उन्हें प्रसन्न करने के लिए शनिवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है. शनिवार के दिन शनि देव की पूजा-अर्चना और उपाय आदि से जातकों को शनि के कष्टों से राहत मिलती है. शनि देव की पूजा का सही समय सूर्योदय से पहले या फिर सूर्यास्त के बाद है. कहते हैं शनि देव की पूजा सूर्योदय के बाद नहीं करनी चाहिए. अगर कोई जातक ऐसा करता है, तो उसे शनि देव की कुदृष्टि का सामना करना पड़ता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव की कृपा पाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन सूर्यास्त के बाद शनि देव की पूजा के बाद अगर विधिरपूर्वक उनकी आरती की जाए, तो वे बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. साथ ही, भक्तों के सभी दुख दूर करते हैं.
शनि देव की आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
शनि देव की आरती की महिमा
हिंदू धर्म में किसी भी देवी-देवता की पूजा के बाद उनके मंत्र और आरती का विधान है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूजा के अंत में आरती की जाती है. मान्यता है कि शनि देव की पूजा के बाद अगर उनकी आरती की जाए, तो शनि देव की किसी भी दशा का आप पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता. शनि देव की आरती सरसों के तेल का दीपक जला कर की जाती है. साथ ही, इसमें काला तिल डाल लें. अगर घर के बाद शनि मंदिर नहीं है, तो पीपल के पेड़ या फिर हनुमान मंदिर में भी शनि देव की पूजा की जा सकती है.