धर्म-अध्यात्म

गुरुवार का करवा चौथ होता है अत्यंत शुभ, जानें विशेष पूजा विधि

Subhi
12 Oct 2022 3:58 AM GMT
गुरुवार का करवा चौथ होता है अत्यंत शुभ, जानें विशेष पूजा विधि
x
करवा चौथ व्रत स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु व सुख-सौभाग्य के लिए ही करती हैं। इस व्रत में सास सूर्योदय से पूर्व अपनी बहू को सरगी के माध्यम से दूध, सेवई आदि खिला देती हैं। फिर शृंगार की वस्तुएं- साड़ी, जेवर आदि करवा चौथ पर देती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ व्रत रखा जाता है।

करवा चौथ व्रत स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु व सुख-सौभाग्य के लिए ही करती हैं। इस व्रत में सास सूर्योदय से पूर्व अपनी बहू को सरगी के माध्यम से दूध, सेवई आदि खिला देती हैं। फिर शृंगार की वस्तुएं- साड़ी, जेवर आदि करवा चौथ पर देती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

गुरुवार का व्रत खास-

करवा चौथ, कार्त्तिक कृष्ण चतुर्थी को मनाया जाता है। इस साल करवा चौथ 13 अक्टूबर, गुरुवार को है। गुरुवार की चतुर्थी तिथि को अति शुभ माना गया है। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है। जबकि चतुर्थी तिथि भगवान श्रीगणेश को। करवा चौथ व्रत के दिन भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा की जाती है। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है।

इन मुहूर्त में करें करवा चौथ पूजा-

इस साल करवा चौथ पर पूजन के कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, अमृत काल शाम 04 बजकर 08 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। पूजा की कुल अवधि 01 घंटा 42 मिनट की है। इसके अलावा सुबह 11 बजकर 44 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है। इस साल करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय रात 08 बजकर 09 मिनट पर है।

करवा चौथ पूजन विधि-

सुहागिन महिलाएं इस दिन 16 शृंगार कर, आभूषण आदि पहन कर शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा करती हैं। व्रत करने वाले दिन सोना नहीं चाहिए। पकवान से भरे दस करवे-मिट्टी के बने बर्तन, गणेश जी के सम्मुख रखते हुए मन में प्रार्थना करें- 'करुणासिन्धु कपर्दिगणेश! आप मुझ पर प्रसन्न हों।' करवे में रखे लड्डू पति के माता-पिता को वस्त्र, धन आदि के साथ जरूर दें। ये करवे पूजा के बाद विवाहित महिलाओं को ही बांट देने चाहिए। निराहार रह कर दिन भर गणेश मंत्र का जाप करना चाहिए। रात्रि में चंद्रमा के दिखने पर ही अर्घ्य प्रदान करें। इसके साथ ही, गणेश जी और चतुर्थी माता को भी अर्घ्य देना चाहिए। व्रती केवल मीठा भोजन ही करें। करवा चौथ व्रत 12 या 16 साल तक करना चाहिए। शरीर अगर साथ नहीं दे रहा है, तो इसके बाद उद्यापन कर सकते हैं।


Next Story