धर्म-अध्यात्म

गुरुवार का दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति का दिन माना जाता हैं, ये गलतिया भूल के भी न करे

Teja
28 Oct 2021 10:56 AM GMT
गुरुवार का दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति का दिन माना जाता हैं, ये गलतिया भूल के भी न करे
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फाइल फोटो 

गुरुवार को इन चीजों को न खाएं

जनता से रिस्ता वेबडेसक | हमारे धार्मिक ग्रंथों में सप्ताह के सभी सात दिनों का विशेष महत्व बताया गया है. हर दिन को किसी न किसी देवता का दिन बताया गया है. दिन विशेष पर संबंधित देवता की विधि विधान से पूजा अर्चना करने पर व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. गुरुवार (Guruvar) का दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति का दिन माना गया है. यह दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को भी समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने पर जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-शांति एवं समृद्धि का वास हो जाता है. जो लोग भगवान विष्णु के भक्त हैं और उनकी पूजा करते हैं उनसे मां लक्ष्मी भी प्रसन्न रहती हैं और उन्हें धन-धान्य से परिपूर्ण कर देती हैं.

भगवान विष्णु की गूरुवार के दिन विधि विधान से पूजा की जाना चाहिए. पूजा के लिए कुछ खास नियम हैं. जिनका पालन भी आवश्यक है. इस दिन व्यक्ति को ऐसा कोई भी काम करने से बचना चाहिए जिससे भगवान विष्णु अप्रसन्न हो जाएं. इस दिन कुछ विशेष चीजों का सेवन भी वर्जित माना जाता है.

गुरुवार को इन चीजों को न खाएं

केला – गुरुवार के दिन केले के फल को खाने से बचना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक गुरुवार के स्वामी देवताओं के गुरु बृहस्पति माने गए हैं और उनका वास केले के पेड़ में होता है. इसके अलावा ये भी मान्यता है कि केले के पेड़ में स्वयं भगवान विष्णुजी वास करते है. यही वजह है कि गुरुवार के दिन केले के पेड़ का पूजन किया जाता है. जो लोग गुरुवार का व्रत रखते हैं उन्हें केले का सेवन नहीं करना चाहिए

खिचड़ी – गुरुवार के दिन खिचड़ी नहीं खानी चाहिए. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि गुरुवार को अगर घर में खिचड़ी बनाई जाती है या फिर खाई जाती है तो इससे धन का नुकसान उठाना पड़ सकता है. घर में दरिद्रता भी इस वजह से आती है.

इन कामों से बचें, इन्हें करें

– गुरुवार के दिन घर से कबाड़ नहीं निकालना चाहिए.

– इस दिन घर को धोना या पोछना नहीं चाहिए.

– गुरुवार के दिन पीली चीजों का दान करें.

– भगवान विष्णु के सामने देसी घी का दीपक जलाएं.

– इस दिन केले के पेड़ को जल अर्पित करना चाहिए.

– अपने गुरु का 108 बार नाम उच्चारित करें.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. जनता से रिस्ता इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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