धर्म-अध्यात्म

होली पर इस बार 500 साल बाद बन रहा है ऐसा दुर्लभ संयोग, जानिए तिथि एवं शुभ मुहूर्त

Triveni
22 March 2021 6:13 AM GMT
होली पर इस बार 500 साल बाद बन रहा है ऐसा दुर्लभ संयोग, जानिए तिथि एवं शुभ मुहूर्त
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कोरोना संकट के बीच लोग इन दिनों एहतियात के बीच होली की तैयारी में जुटे हैं। इस साल 28 मार्च को होलिका दहन और 29 मार्च को होली है।

जनता से रिश्ता वेबडेसक | कोरोना संकट के बीच लोग इन दिनों एहतियात के बीच होली की तैयारी में जुटे हैं। इस साल 28 मार्च को होलिका दहन और 29 मार्च को होली है। हिंदू पंचांग के मुताबिक होली से आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाता है। इस साल होलाष्टक 21 मार्च से शुरू होगा। होलाष्टक 21 मार्च से आरंभ होगा जो 28 मार्च को होलिका दहन पर समाप्त होगा।

इस बार होली पर 500 साल बाद एक बहुत ही दुर्लभ योग बन रहा है। इसके साथ ही दो बहुत ही खास संयोग भी बन रहे हैं। हिंदू केलेंडर के मुताबिक 29 मार्च को कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि भी पड़ रही है। साथ ही इसी दिन ध्रुव योग का भी निर्माण भी हो रहा है। इसी दिन सर्वार्थसिद्धि योग के साथ ही अमृतसिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। अर्थात इस बार होली सर्वार्थसिद्धि योग के साथ-साथ अमृतसिद्धियोग में मनाई जायेगी। ऐसा दुर्लभ योग 500 साल बाद बन रहा है। इसके पहले यह दुर्लभ योग 3 मार्च 1521 को पड़ा था।
शुभ मुहूर्त- फाल्गुन पूर्णिमा 2021
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 28, 2021 को 03:27 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 29, 2021 को 00:17 बजे
होलिका दहन 2021
होलिका दहन मुहूर्त – 18:37 से 20:56
अवधि – 02 घंटे 20 मिनट
28 मार्च को दिन में 1 बजकर 53 मिनट पर भद्रा समाप्त हो जाएगा। ऐसे में प्रदोष काल में इस बार होलिका दहन किया जाना शुभ फलदायी रहेगा। इस वर्ष होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 37 मिनट से शुरू होकर रात के 08 बजकर 56 मिनट तक रहेगा।
इस साल होलिका दहन के समय वृद्धि योग उपस्थित रहेगा। अपने नाम के अनुसार यह योग सभी शुभ कर्मों में वृद्धि और उन्नति प्रदान करने वाला रहेगा। वृद्धि योग के साथ होलिका दहन के दिन कई और भी शुभ योग उपस्थित होंगे।
होली का त्योहार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस साल होली के मौके ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। हिंदू पंचांग के मुताबिक इस दिन चंद्रमा कन्या राशि में विराजमान रहेगा। ग्रहों की बात करें तो मकर राशि में शनि और गुरू विराजमान रहेंगे। शुक्र और सूर्य मीन राशि में रहेंगे। वहीं मंगल और राहु वृषभ राशि, बुध कुंभ राशि और मोक्ष के कारण केतु वृश्चिक राशि में विराजमान रहेंगे।


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