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साल में एक बार खुलता है यह मंदिर, यहां शेषनाग के फन पर पूरे परिवार के साथ विराजते हैं महाकाल
नागचन्द्रेश्ववर मंदिर उज्जैन : श्री नागचन्द्रेश्ववर मंदिर उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर में ही स्थित है। यह मंदिर साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी के दिन ही भक्तों के दर्शन के लिए खोला जाता है। यहां भगवान शिव अपने पूरे परिवार समेत नाग फन की शैय्या पर विराजमान हैं। आइए तस्वीरों के माध्यम से आपको करवाते हैं मंदिर के आरती दर्शन और बताते हैं मंदिर का इतिहास व मान्यताएं। साल में एक बार खुलता है यह मंदिर, यहां शेषनाग के फन पर पूरे परिवार के साथ विराजते हैं भगवान शिव
अपना यह राशिफल हर दिन ईमेल पर पाने के लिए उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर के द्वितीय तल पर श्री नागचन्द्रेश्ववर मंदिर स्थित है, जिसके पट में साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी के दिन खुलते हैं। आज यहां इस मंदिर में विधिविधान के साथ पूजा कर्म के बाद मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शन खोल दिए गए है। इस मंदिर को श्रावण शुक्ल चतुर्थी की रात को 12 बजे से नाग पंचमी की रात को 12 बजे तक खोला जाता है। भक्तों की भीड़ यहां आधी रात से ही जुटना आरंभ हो जाती है। साल के 365 दिन में सिर्फ नागपंचमी के अवसर पर 24 घंटे के लिए यह मंदिर खोला जाता है। उसके बाद पूजापाठ करने के उपरांत मंदिर के कपाट फिर से बंद कर दिए जाते हैं। आइए आपको बताते हैं इस मंदिर के बारे में खास बातें और यहां से जुड़ी विशेष मान्यताएं।
कहां स्थित है नागचन्द्रेश्वर मंदिर श्री महाकालेश्वर मंदिर के द्वितीय तल पर श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर के पट साल में एक बार 24 घंटे सिर्फ नागपंचमी के दिन खुलते हैं। हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान शिव का आभूषण भी माना गया है। श्री महाकाल मंदिर के गर्भगृह के ऊपर ओंकरेश्वर मंदिर और उसके भी शीर्ष पर श्री नागचन्द्रेश्वर का मंदिर प्रतिष्ठापित है। श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा स्थापित है, प्रतिमा में श्री नागचन्द्रेश्वर स्वयं अपने सात फनों से सुशोभित हो रहे है। साथ में शिव-पार्वती के दोनों गण नंदी और सिंह भी विराजित है। यह एक इकलौता ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव पूरे परिवार के साथ नाग की शैय्या पर विराजमान हैं।
मंदिर का इतिहास ऐसा माना जाता है कि मालवा साम्राज्य के परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के करीब इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके बाद सिंधिया परिवार के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। श्री नागचन्द्रेश्वर भगवान की प्रतिमा को नेपाल से यहां लाकर स्थापित किया गया था। इस मूर्ति में भगवान शिव अपने दोनों पुत्रों गणेशजी और स्वामी कार्तिक समेत विराजमान हैं। मूर्ति में ऊपर की ओर सूर्य और चन्द्रमा भी अंकित है।
भगवान के गले में नागों का हार भगवान के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए है। ऐसी मान्यता है कि, उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है। इस प्रतिमा के दर्शन के उपरांत अंदर प्रवेश करने पर श्री नागचन्द्रेश्वर की मुख्य प्रतिमा यानी कि शिवलिंग के दर्शन होते है। नागपंचमी के दिन श्री नागचन्द्रेश्वर महादेव के लगातार 24 घंटे दर्शन होंगे। मंदिर के पट सोमवार की रात्रि 12 बजे बंद होंगे। इस बार सावन के 7वें सोमवार का भी शुभ योग बना है। श्री नागचन्द्रेश्वर भगवान की त्रिकाल पूजा नागपंचमी पर्व पर भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर की त्रिकाल पूजा होती है। मध्यरात्रि 12 बजे पट खुलने के पश्चात महंत पूजा करते हैं। उसके बाद दोपहर 12 बजे की पूजा होती है। फिर नागपंचमी की रात को 12 बजे अखाडे़ पूजन करने के उपरांत मंदिर के कपाट बंद कर देते हैं।