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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अपने देश में तरह-तरह के मंदिर है , जो अपनी खूबसूरती और प्राचीनता के लिए समूचे विश्व में प्रसिद्ध है. इसी कड़ी में आज हम आपको एक ऐसे ही प्राचीन मंदिर का किस्सा बताने जा रहे हैं. जो इतना खूबसूरत है कि इसे लोग दुनिया के सात अजूबों से बिल्कुल भी कम नहीं मानते.
हम बात कर रहे हैं दिलवाड़ा जैन मंदिर या देलवाडा मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू नगर में स्थित है. इन मंदिरों का निर्माण 11वीं शताब्दी से लेकर 16वीं शताब्दी के बीच हुआ था. यहां मौजूद सभी मंदिर जैन धर्म के तीर्थंकरों को समर्पित हैं.
यह मंदिर जैन धर्म के पहले तीर्थंकर भगवान आदिनाथ को समर्पित है.सफेद संगमरमर से तराश कर बनाए गए इस मंदिर का निर्माण गुजरात के चालुक्य राजवंश के राजा भीम प्रथम के मंत्री विमल शाह ने करवाया था. इस मंदिर की विशेषता ये है कि इसके मुख्य हॉल में 360 तीर्थंकरों की छोटी-छोटी मूर्तियां हैं. इसके अलावा यहां एक हाथीकक्ष भी है, जिसमें संगमरमर से बे 10 खूबसूरत हाथी मौजूद हैं.
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान आदिनाथ की मूर्ति की आंखें असली हीरे की बनी हैं और उनके गले में बहुमूल्य रत्नों का हार है. ऐसा माना जाता है कि मंदिर बनाने वाले जो कारीगर संगमरमर को तराशने का काम पूरा करते थे उन्हें इकट्ठा किए गए संगमरमर के धूल के अनुसार भुगतान किया जाता था. इस वजह से कारीगर मन लगाकर काम करते थे और शानदार नक्काशी बनाते थे.
'विमल वासाही मंदिर' और 'लूना वसाही मंदिर' के अलावा यहां पित्तलहार मंदिर, श्री पार्श्वनाथ मंदिर और श्री महावीर स्वामी मंदिर हैं.सबसे आखिर में महावीर स्वामी मंदिर का निर्माण 1582 ईस्वी में हुआ था.यह भगवान महावीर को समर्पित है. वैसे तो बाकी मंदिरों की अपेक्षा यह सबसे छोटा है, लेकिन इसकी दीवारों पर नक्काशी सबसे खूबसूरत और अद्भुत है. इन मंदिरों को राजस्थान के सर्वाधिक लोकप्रिय आकर्षणों में से एक माना जाता है.