धर्म-अध्यात्म

Religion Spirituality: राजा दक्ष की याद में बना है हरिद्वार का यह मंदिर

Kanchan
26 Jun 2024 11:27 AM GMT
Religion Spirituality:  राजा दक्ष की याद में बना है हरिद्वार का यह मंदिर
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Religion Spirituality: पंचांग के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 जुलाई 2024 दिन रविवार को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर प्रारंभ होगी। उदया तिथि को देखते हुए 22 जुलाई को सावन शुरू होगा। सावन में शिव मंदिरों को अत्यंत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया जाता है। इस दौरान साधक भगवान शिव की पूजा करने और उनके दर्शन करने के लिए शिव मंदिरों का रुख करते हैं। सावन का महीना बेहद खास माना जाता है, क्योंकि यह महीना देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस माह में
भगवान शिव की उपासना
और व्रत करने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन सदैव खुशहाल रहता है। यदि आप सावन में मंदिर जाने की योजना बना रहे हैं, तो आप दक्षेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन अवश्य करें। प्रसिद्ध है कि सावन में इस मंदिर में देवों के देव महादेव विराजमान होते हैं। आइए जानते हैं इस कथा में दक्षेश्वर महादेव मंदिर के बारे में जुड़ी अहम जानकारी। भगवान शिव को समर्पित दक्षेश्वर महादेव मंदिर हरिद्वार में स्थित है। यह मंदिर जन्म की वजह से बहुत प्रसिद्ध है।
सावन में अधिक संख्या में मंदिर में शिव जी के दर्शन करने के लिए आते हैं। इस दौरान बेहद भव्य नजारा देखने को मिलता है। मान्यता है कि दक्षेश्वर महादेवMahadev मंदिर माता सती के पिता राजा दक्ष की याद में बन गया है। पौराणिक कथा के अनुसार, दक्ष नाम के राजा ने एक बार यज्ञ किया था। यज्ञ में शामिल होने के लिए राजा ने देवी-देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन यज्ञ में महादेव को नहीं बुलाया। इस घटना से माता सती को अपमान महसूस हुआ। इसके बाद वे शिव जी से अनुमति मांगकर यज्ञ में प्रवेश करते हैं। वहां उनके पिता राजा दक्ष शिव जी का अपमान करते हैं, जिन्हें माता सती सहन नहीं कर पातीं और वे अग्नि कुंड में कूदकर आत्मदाह कर लेती हैं। इसके बाद भगवान शिव क्रोधित होकर अपनी जटाओं से वीरभद्रVeerbhadra को पैदा करते हैं। राजा के सिर को काट देते हैं। ऐसे में देवी-देवताओं के कहने पर महादेव ने राजा को बकरे का सिर पकड़कर जीवनदान दिया। इसके बाद राजा ने प्रभु से क्षमा मांगी, जिसके बाद शिव जी ने राजा को माफ कर यह वचन दिया कि हरिद्वार का मंदिर उनके नाम से अंकित होगा और कहा कि वह सावन के महीनों में मंदिर में वास करेंगे।
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