धर्म-अध्यात्म

इस मंदिर में है एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग, भगवान राम ने यज्ञ कर किया था इसे स्थापित

Manish Sahu
2 Oct 2023 6:34 PM GMT
इस मंदिर में है एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग, भगवान राम ने यज्ञ कर किया था इसे स्थापित
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धर्म अध्यात्म: राजस्थान का धौलपुर जिला उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमाओं से घिरा हुआ है. वैसे तो धौलपुर जिले में कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनका निर्माण धौलपुर रियासत के राजा और महाराजाओं ने करवाया. उनमें से एक मंदिर है सैंपऊ महादेव मंदिर, जिसे राम रामेश्वर मंदिर भी कहा जाता है. धौलपुर जिले से 26 किलोमीटर दूर सेपो उपखंड में स्थिति यह मंदिर स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है. मंदिर की दीवारों पर अनेक प्रकार के पशु पक्षियों का चित्रण किया गया है और भगवान की मूर्तियां भी उकेरी गई हैं. मंदिर गर्भ गृह में पहुंचने के लिए चार दरवाजे हैं.
सैंपऊ महादेव मंदिर के पुजारी राम भरोसी पूरी बताते हैं कि यह शिवलिंग भगवान श्री राम के युग त्रेता युग का है भगवान राम ने अपने गुरु विश्वामित्र के साथ यहां पर यज्ञ किया और महादेव के शिवलिंग को जल अभिषेक करके प्राण प्रतिष्ठा के साथ स्थापित किया और तभी से इस मंदिर को राम रामेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाने लगा. महादेव मंदिर के महंत बताते हैं यहीं पर गुरु विश्वामित्र के आदेश पर भगवान श्री राम ने ताड़का का वध किया था. सैंपऊ महादेव मंदिर के पुजारी बताते हैं सन 1305 में संत श्याम रतन पुरी अपनी बहन लीला बाई के साथ यहां आए थे, तो उनको भगवान महादेव ने सपने में आकर शिवलिंग बताया था. तब से इस मंदिर को स्वयं शंभू महादेव भी कहा जाने लगा. सैंपऊ महादेव मंदिर के पुजारी बताते हैं जब धौलपुर के महाराजा कीरत सिंह के कोई पुत्र नहीं हो रहा था, तो महादेव के आशीर्वाद से ही उनके एक पुत्र होता है .इसलिए धौलपुर के महाराजा कीरत सिंह इस शिवलिंग को धौलपुर स्थित चोपड़ा मंदिर ले जाना चाहते थे. महाराजा कीरत सिंह ने इस शिवलिंग को खुदवाने का प्रयास किया कई दिनों तक शिवलिंग की खुदाई चलती रही पर शिवलिंग का अंतिम छोर दिखाई नहीं दिया.
रामभरोसी पूरी बताते हैं उनकी 18 पीढ़ियां इस मंदिर की सेवा करती आ रही हैं. सैंपऊ महादेव मंदिर के स्थानीय निवासी बताते हैं यहां स्थित विशालकाय एक कुएं का निर्माण धौलपुर रियासत के राजा भगवत सिंह जी ने करवाया था और यहां पर एक ऐसा वृक्ष भी है जिसकी एक डाली पर फूल लगते हैं और एक डाली पर कांटे लगते हैं इन दोनों डालियों को नर और मादा के रूप में जाना जाता है. सैपऊ महादेव मंदिर में दर्शन करने आए भक्त बताते हैं. सैंपऊ महादेव शिवलिंग एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग में गिना जाता है और उनके दर्शन मात्र से ही सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैऔर महाशिवरात्रि श्रवण मास एवं सप्ताहिक सोमवार को बड़ी संख्या में महादेव के भक्त पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं.
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