धर्म-अध्यात्म

नवरात्रि का ये शनिवार कई मायनों में विशेष रहने वाला है, इस मंत्र का जाप करना भी है बहुत ही शुभ

Kajal Dubey
9 April 2022 5:10 AM GMT
नवरात्रि का ये शनिवार कई मायनों में विशेष रहने वाला है, इस मंत्र का जाप करना भी है बहुत ही शुभ
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नवरात्रि का पर्व चल रहा है, आपके लिए नवरात्रि का ये शनिवार कई मायनों में विशेष रहने वाला है। आज नवरात्रि का आठवां दिन है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नवरात्रि का पर्व चल रहा है, आपके लिए नवरात्रि का ये शनिवार कई मायनों में विशेष रहने वाला है। आज नवरात्रि का आठवां दिन है यानि आज चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है।

नवरात्रि के आठवें दिन को दुर्गा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। वहीं साल 2022 में चैत्र नवरात्रि का पर्व शनिवार के दिन से ही आरंभ हुआ और 02 अप्रैल को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि थी। खास बात ये है कि, इस दिन हिन्दू नववर्ष भी प्रारंभ हुआ है। शनिवार के दिन से ही विक्रम संवत 2079 शुरु हुआ था। जिसके कारण इस वर्ष के राजा शनिदेव है। अर्थात यह हिन्दू वर्ष 2079 शनि प्रधान माना जा रहा है।
वहीं पंचांग के अनुसार 09 अप्रैल, दिन शनिवार को आज चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है और आज के दिन महागौरी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि, महागौरी की पूजा करने से शनि शांत होते हैं। नवरात्रि का आठवां दिन शनि को शांत करने के लिए सबसे उत्तम हैं और आज के दिन मां दुर्गा के विशेष मंत्र का जप करने से शनि शांत होते हैं और इन मंत्रों को बहुत ही प्रभावशाली भी बताया गया है। वहीं इस मंत्र को निर्वाण मंत्र कहा गया है।
निर्वाण से तात्पर्य अर्थात नौ अक्षर। यानी निर्वाण मंत्र में नौ अक्षर आते हैं। इस मंत्र का प्रत्येक अक्षर एक ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। इस मंत्र का जाप करना नवरात्रि में बहुत ही शुभ माना गया है। वहीं यह मंत्र शनिग्रह की अशुभता को दूर करता है। तथा साथ ही सभी ग्रहों की अशुभता को दूर करके शुभ परिणाम दिलाता है।
मंत्र
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नम:
पंचांग के अनुसार, 8 अंक को शनि का अंक माना गया है। वहीं आज नौ अप्रैल को अष्टमी तिथि है जबकि आज शनिवार का दिन भी पड़ रहा है। यहीं कारण है कि, नवरात्रि का आठवां दिन आज शनिदेव की पूजा का विशेष संयोग बन रहा है।
शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है, इस दिन शनि से जुड़ी चीजों का दान करना चाहिए। सरसों का तेल, काला छाता, काला कंबल, काला जूता, काली उड़द, लोहा आदि का दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और शनि शांत होते हैं। शनि को नियम मानने वाला देवता बताया गया है।
जो लोग नियमों का पालन नहीं करते हैं और कमजोर लोगों को सताते हैं, परिश्रम करने वालों का सम्मान नहीं करते हैं, शनि उन्हें अपनी दशा-अंतर्दशा, साढ़े साती और ढैय्या के दौरान बुरे फल प्रदान करते हैं।


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