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धर्म-अध्यात्म
धन संकट से मुक्ति दिलाता हैं श्री साई से जुड़ा ये उपाय
Tara Tandi
22 Jun 2023 8:05 AM GMT

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सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित होता हैं। वही गुरुवार का दिन विष्णु जी के साथ श्री साईं बाबा की पूजा आराधना के लिए भी उत्तम माना जाता हैं इस दिन साईं भक्त बाबा की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत भी रखते हैं।
लेकिन इसी के साथ ही अगर साईं अष्टोत्तरशतनामावलि का पाठ सच्चे मन से किया जाए तो साईं बाबा प्रसन्न होकर कृपा करते हैं साथ ही इस चमत्कारी पाठ से धन संकट से भी मुक्ति मिलती हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं। श्री साई अष्टोत्तरशतनामावलि।
श्री साई अष्टोत्तरशतनामावलि-
ओं श्री सायि सद्गुरुवे नमः
ओं श्री सायि साकोरिवासिने नमः
ओं श्री सायि साधननिष्ठाय नमः
ओं श्री सायि सन्मार्गदर्शिने नमः
ओं श्री सायि सकलदेवता स्वरूपाय़ नमः
ओं श्री सायि सुवर्णाय नमः
ओं श्री सायि सम्मोहनाय नमः
ओं श्री सायि समाश्रित निम्बवृक्षाय नमः
ओं श्री सायि समुद्धार्त्रे नमः
ओं श्री सायि सत्पुरुषाय नमः ॥ 10 ॥
ओं श्री सायि सत्परायणाय नमः
ओं श्री सायि संस्थानाधीशाय नमः
ओं श्री सायि साक्षात् दक्षिणामूर्तये नमः
ओं श्री सायि साकारोपासना प्रियाय नमः
ओं श्री सायि स्वात्मारामाय नमः
ओं श्री सायि स्वात्मानन्दाय नमः
ओं श्री सायि सनातनाय नमः
ओं श्री सायि सूक्ष्माय नमः
ओं श्री सायि सकलदोषहराय नमः
ओं श्री सायि सुगुणाय नमः ॥ 2० ॥
ओं श्री सायि सुलोचनाय नमः
ओं श्री सायि सनातन धर्मसंस्थापनाय नमः
ओं श्री सायि साधुसेविताय नमः
ओं श्री सायि साधुपुङ्गवाय नमः
ओं श्री सायि सत्सन्तान वरप्रदाय नमः
ओं श्री सायि सत्सङ्कल्पाय नमः
ओं श्री सायि सत्कर्म निरताय नमः
ओं श्री सायि सुरसेविताय नमः
ओं श्री सायि सुब्रह्मण्याय नमः
ओं श्री सायि सूर्यचन्द्राग्निरूपाय नमः ॥ 3० ॥
ओं श्री सायि स्वयंमहालक्ष्मी रूपदर्शिते नमः
ओं श्री सायि सहस्रादित्य सङ्काशाय नमः
ओं श्री सायि साम्बसदाशिवाय नमः
ओं श्री सायि सदार्द्र चिन्तायनमः
ओं श्री सायि समाधि समाधानप्रदाय नमः
ओं श्री सायि सशरीरदर्शिने नमः
ओं श्री सायि सदाश्रयाय नमः
ओं श्री सायि सदानन्दरूपाय नमः
ओं श्री सायि सदात्मने नमः
ओं श्री सायि सदा रामनामजपासक्ताय नमः ॥ 4० ॥
ओं श्री सायि सदाशान्ताय नमः
ओं श्री सायि सदा हनुमद्रूपदर्शनाय नमः
ओं श्री सायि सदा मानसिक नामस्मरण तत्पराय नमः
ओं श्री सायि सदा विष्णु सहस्रनाम श्रवणसन्तुष्टाय नमः
ओं श्री सायि समाराधन तत्पराय़ नमः
ओं श्री सायि समरस भाव प्रवर्तकाय नमः
ओं श्री सायि समयाचार तत्पराय नमः
ओं श्री सायि समदर्शिताय नमः
ओं श्री सायि सर्वपूज्याय नमः
ओं श्री सायि सर्वलोक शरण्य़ाय नमः ॥ 5० ॥
ओं श्री सायि सर्वलोक महेश्वराय नमः
ओं श्री सायि सर्वान्तर्यामिने नमः
ओं श्री सायि सर्वशक्तिमूर्तये नमः
ओं श्री सायि सकल आत्मरूपाय नमः
ओं श्री सायि सर्वरूपिणे नमः
ओं श्री सायि सर्वाधाराय नमः
ओं श्री सायि सर्ववेदाय नमः
ओं श्री सायि सर्वसिद्धिकराय नमः
ओं श्री सायि सर्वकर्मविवर्जिताय नमः
ओं श्री सायि सर्व काम्यार्थदात्रे नमः ॥ 6० ॥
ओं श्री सायि सर्वमङ्गलकराय नमः
ओं श्री सायि सर्वमन्त्रफलप्रदाय़ नमः
ओं श्री सायि सर्वलोकशरण्य़ाय नमः
ओं श्री सायि सर्वरक्षास्वरूपाय नमः
ओं श्री सायि सर्व अज्ञानहराय़ नमः
ओं श्री सायि सकल जीवस्वरूपाय नमः
ओं श्री सायि सर्वभूतात्मने नमः
ओं श्री सायि सर्वग्रहदोषहराय नमः
ओं श्री सायि सर्ववस्तु स्वरूपाय नमः
ओं श्री सायि सर्वविद्या विशारदाय नमः ॥ 7० ॥
ओं श्री सायि सर्वमातृ स्वरूपाय नमः
ओं श्री सायि सकल योगिस्वरूपाय नमः
ओं श्री सायि सर्वसाक्षीभूताय नमः
ओं श्री सायि सर्वश्रेयस्कराय नमः
ओं श्री सायि सर्व ऋण विमुक्ताय नमः
ओं श्री सायि सर्वतो भद्रवासिने नमः
ओं श्री सायि सर्वदा मृत्युञ्जयाय नमः
ओं श्री सायि सकल धर्मप्रबोधकाय नमः
ओं श्री सायि सकलाश्रयाय़ नमः
ओं श्री सायि सकलदेवता स्वरूपाय नमः ॥ 8० ॥
ओं श्री सायि सकल पापहराय नमः
ओं श्री सायि सकल साधु स्वरूपाय नमः
ओं श्री सायि सकल मानव हृदयान्तर्वासिने नमः
ओं श्री सायि सकल व्याधि निवारणाय नमः
ओं श्री सायि सर्वदा विभूधि प्रदात्रे नमः
ओं श्री सायि सहस्र शीर्ष मूर्तये नमः
ओं श्री सायि सहस्र बाहवे नमः
ओं श्री सायि समस्त जगदाधाराय नमः
ओं श्री सायि समस्त कल्याण कर्त्रे नमः
ओं श्री सायि सन्मार्ग स्थापन व्रताय नमः ॥ 9० ॥
ओं श्री सायि सन्यास योग युक्तात्मने नमः
ओं श्री सायि समस्त भक्त सुखदाय नमः
ओं श्री सायि संसार सर्वदुःख क्षयकराय नमः
ओं श्री सायि संसार भयनाशनाय नमः
ओं श्री सायि सप्त व्यसन दूराय नमः
ओं श्री सायि सत्य पराक्रमाय नमः
ओं श्री सायि सत्यवाचे नमः
ओं श्री सायि सत्यप्रदाय नमः
ओं श्री सायि सत्सङ्कल्पाय नमः
ओं श्री सायि सत्यधर्म परायणाय नमः ॥ 108 ॥
ओं श्री सायि सत्यनारायणाय नमः
ओं श्री सायि सत्य तत्त्व प्रबोधकाय नमः
ओं श्री सायि सत्य दृष्टे नमः
ओं श्री सायि सत्यानन्द स्वरूपिणे नमः
ओं श्री सायि सत्यान्वेषण तत्पराय नमः
ओं श्री सायि सत्यव्रताय नमः
ओं श्री सायि स्वामि अय्यप्प रूपदर्शिते नमः
ओं श्री सायि सर्वाभरणालङ्कृताय नमः ॥ 108 ॥
इति श्री सायि सकार अष्टोत्तरशतनामावलिः सम्पूर्णम् ॥

Tara Tandi
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