धर्म-अध्यात्म

जन्माष्टमी पर बनेगा ये दुर्लभ संयोग, जानें तिथि एवं पूजा का समय

Triveni
14 Aug 2021 4:08 AM GMT
जन्माष्टमी पर बनेगा ये दुर्लभ संयोग, जानें तिथि एवं पूजा का समय
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जन्माष्टमी (Janmashtami) का त्योहार ढेर सारी खुशियां लाता है.

जन्माष्टमी (Janmashtami) का त्योहार ढेर सारी खुशियां लाता है. कई जगह मटकी फोड़ने की प्रथा होती है तो कई जगह इस त्योहार पर झांकी निकाल कर या मंदिर को अच्छे से सजा कर इसे मनाया जाता है. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार जन्माष्टमी का त्योहार इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस तिथि पर कृष्ण भगवान का जन्म हुआ था. मान्यता के हिसाब से भगवान विष्णु के अवतार ने धरती पर भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि में मध्य रात्रि को जन्म लिया था. हांलाकि, इस बार इस पावन अवसर पर कई सालों के बाद एक दुर्लभ संयोग (Rare Coincidence) भी बन रहा है. आज हम आपको इसी संयोग के बारे में बताएंगे.

आपको बता दें कि हिंदू पंचांग के हिसाब से इस साल जन्माष्टमी का त्योहार 30 अगस्त 2021 दिन सोमवार को पड़ रहा है और यह अवसर बेहद ही खास रहने वाला है क्योंकि इस समय पर 6 तत्वों का मिलन होगा, जो बहुत ही दुर्लभ माना जा रहा है. आपको बता दें कि इस बार भाद्र कृष्ण पक्ष, रोहिणी नक्षत्र, अर्धरात्रि कालीन अष्टमी तिथि, वृष राशि में चंद्रमा और सोमवार का होना बेहद दुर्लभ संयोग है. जानकारी के मुताबिक सोमवार के दिन अष्टमी तिथि सुबह से ही रहने वाली है और रात में 1 बजकर 59 मिनट तक यह तिथि रहेगी. इस रात को ही नवमी तिथि भी लगेगी. इस समय चंद्रमा वृष राशि में मौजूद रहेगा. जानिए, शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारम्भ: – 29 अगस्त 2021 रात 11:25
अष्टमी तिथि समापन: – 31 अगस्त 2021 सुबह 01:59
अष्टमी तिथि प्रारम्भ: – 29 अगस्त 2021 रात 11:25
अष्टमी तिथि समापन: – 31 अगस्त 2021 सुबह 01:59
रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ: – 30 अगस्त 2021 सुबह 06:39
रोहिणी नक्षत्र समापन – 31 अगस्त 2021 सुबह 09:44
निशित काल: – 30 अगस्त रात 11:59 से लेकर सुबह 12:44 तक
अभिजित मुहूर्त: – सुबह 11:56 से लेकर रात 12:47 तक
गोधूलि मुहूर्त: – शाम 06:32 से लेकर शाम 06:56 तक
व्रत रखने से मिट जाएंगे पाप
ग्रंथों के मुताबिक ऐसा संयोग जब जन्माष्टमी पर बनता है तो इस खास मौके पर व्रत रखने से कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है. साथ ही जो लोग इस संयोग के दौरान व्रत रखते हैं वो लोग प्रेत योनि में भटक रहे अपने पूर्वजों को भी मुक्ति दिला देते हैं.


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