धर्म-अध्यात्म

मनुष्य के 100 गुणों पर भी भारी है ये एक अवगुण, इसका त्याग ही बेहतर

Tara Tandi
7 July 2021 10:06 AM GMT
मनुष्य के 100 गुणों पर भी भारी है ये एक अवगुण, इसका  त्याग ही बेहतर
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आचार्य चाणक्य एक महान अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, रणनीतिकार होने के साथ सामाजिक विषयों के भी ज्ञाता थे

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आचार्य चाणक्य एक महान अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, रणनीतिकार होने के साथ सामाजिक विषयों के भी ज्ञाता थे. उन्होंने जीवन के हर पहलू को करीब से समझा था. ये आचार्य की बुद्धिमत्ता और कुशल रणनीति का ही नतीजा था कि उन्होंने एक साधारण से बालक को सम्राट की गद्दी पर बैठा दिया था. आचार्य चाणक्य में किसी भी परिस्थिति को दूर से ही भांप लेने की जबरदस्त क्षमता थी.

उन्होंने अपने ज्ञान को सिर्फ खुद तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि दूसरों का भी मार्गदर्शन किया. अपने ग्रंथ चाणक्य नीति में आचार्य ने अपने अनुभवों के आधार पर लोगों को जीवन को आसान बनाने का मार्ग दिखाया है. यदि आचार्य की बातों का लोग अनुसरण कर लें तो तमाम समस्याओं से आसानी से निपट सकते हैं. चाणक्य नीति के 13वें अध्याय के 15वें श्लोक में उन्होंने एक ऐसे अवगुण का जिक्र किया है जो व्यक्ति की सारी मेहनत पर पानी फेर सकता है. आइए जानते हैं इसके बारे में.
अनवस्थितकायस्य न जने न वने सुखम्,
जनो दहति संसर्गाद् वनं संगविवर्जनात…
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी भी कार्य में सफलता के लिए मन को काबू करना बहुत जरूरी है. जिसका मन स्थिर नहीं होता, उस व्यक्ति को न तो लोगों के बीच में सुख मिलता है और न ही वन में. ऐसे व्यक्ति को लोगों के बीच ईर्ष्या जलाती है और वन में अकेलापन.
इसे विस्तार से ऐसे समझिए कि जीवन में किसी भी काम में सफलता प्राप्त करने के लिए मन की चचंलता को दूर करना बहुत जरूरी है, क्योंकि जिसका मन चंचल है, वो व्यक्ति चाहे कितनी ही मेहनत कर लें, लेकिन जल्दी सफल नहीं हो पाता. ऐसे व्यक्ति का चित्त कहीं भी नहीं ठहरता. बार बार भटकने की वजह से वो कहीं भी खुद को एकाग्र नहीं कर पाता. जब व्यक्ति फेल होता है तो दूसरों को तरक्की करते हुए देखकर जलता है और कुंठित रहता है. ऐसे में उसे न तो सबसे बीच खुशी मिलती है और न ही अकेलेपन में.
वास्तव में सफल होना है तो चंचल मन को काबू करना जरूरी है. जिसका मन वश में होता है, वो कुछ भी हासिल कर सकता है. गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने मन को वश में रखने का महत्व समझाते हुए कहा है, मन के जीते जीत है, मन के हारे हार. यानी अगर आपने मन को जीत लिया यानी अपने वश में कर लिया तो आपके लिए कुछ भी जीतना मुश्किल नहीं, लेकिन अगर आप अपने मन के गुलाम हैं, तो आप वही करेंगे जो आपका मन आपसे करवाएगा. ऐसे व्यक्ति का सफल होना नामुमकिन है. इसलिए यदि जीवन में आगे बढ़ने का स्वप्न देखते हैं तो पहले मन को वश में करना सीखिए.


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