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सप्ताह के सातों दिन किसी न किसी देवी देवता को समर्पित होता है। इसी तरह शनिवार का दिन भगवान शनिदेव को समर्पित है। शनि दोष से जिंदगी बद से बदतर हो जाती है। इसीलिए शनिवार के दिन शनिदेव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। शनिदेव को न्याय और कर्मफल का देवता माना जाता है। उन्हें काले रंग की चीजें बहुत पसंद है। शनि प्रकोप, साढ़ेसाती और ढैय्या से बचने के लिए शनिवार के दिन शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इससे शनि देव की आशीर्वाद प्राप्त होता है। शनिदेव के प्रसन्न रहने पर जीवन में चारों तरफ खुशहाली रहती है। आइये जानते हैं शनि स्त्रोत का मंत्र और उसके महत्व
शनि स्त्रोत
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च। नम: कालाग्निरुपाय कृतान्ताय च वै नमः।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च। नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थुलरोम्णेऽथ वै नमः। नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नमः। नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमख नमोऽस्तु ते। सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते। नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तु ते।।
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च। नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नमः।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे। तुष्टो ददासि वै राज्यं रूष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
देवासुरमनुष्याश्र्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:। त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे। एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:।।
शनि स्त्रोत महत्व
शनि स्त्रोत से भगवान शनि का प्रकोप कम होने लगता है। नियमित करने से शनिदोष से मुक्ति मिलती है। जीवन में आर्थिक समस्या, वैवाहिक समस्या, परिवार में तनाव, पड़ोसी से बिगड़े संबंध में सुधार होता है। इसीलिए शनि स्त्रोत का पाठ करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
डिसक्लेमर
'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
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