धर्म-अध्यात्म

ये हैं सर्पों के सरकार, महादेव के गले का हार, नागपंचमी पर करें दर्शन, मिटेंगे सभी कस्ट

Manish Sahu
19 Aug 2023 1:40 PM GMT
ये हैं सर्पों के सरकार, महादेव के गले का हार, नागपंचमी पर करें दर्शन, मिटेंगे सभी कस्ट
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धर्म अध्यात्म: प्रयागराज में संगम किनारे सदियों से नागों के राजा नागवासुकि विराजमान हैं. धर्मग्रंथों के अनुसार, यह वही नागवासुकि हैं जो महादेव के कंठ में लिपटे हैं. ये वही नागवासुकि हैं, जिन्होंने समुद्र मंथन में अहम भूमिका निभाई थी. मान्यता है कि नागपंचमी पर नागवासुकि के दर्शन से कालसर्प दोष और गृह क्लेश से मुक्ति मिलती है. यही वजह है कि इस विशेष दिन नागवासुकि के दर्शनों के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.
नागपंचमी 21 अगस्त को है. इस दिन लोग नाग देवता की पूजा करते हैं. उन्हें दूध अर्पण करते हैं. ऐसे में प्रयागराज में संगम किनारे स्थित नागवासुकि मंदिर का महत्व नागपंचमी पर कई गुना बढ़ जाता है. मान्यता है कि नागपंचमी पर इनके दर्शनों से कुंडली में कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है. यही नहीं, गृह क्लेश भी दूर होते हैं.
तीर्थराज प्रयाग में गंगा किनारे वर्षों पुराने इस मंदिर में हर वर्ष नागपंचमी पर मेले का आयोजन होता है. इस दिन दूर-दूर से लोग कालसर्प दोष के निवारण के लिए यहां पूजा करने पहुंचते हैं. सिर्फ कालसर्प दोष ही नहीं, मान्यता है कि नागपंचमी पर नागवासुकि के दर्शनों से गृह क्लेश भी दूर होते हैं.
मान्यता के अनुसार, देव और असुरों के बीच जब समुद्र मंथन हुआ था, तब रस्सी के रूप में नागवासुकि का सहयोग लिया गया था. समुद्र मंथन के बाद नागवासुकि को जब अपार शारीरिक पीड़ा हुई तब उन्होंने भगवान विष्णु से इस पीड़ा का निवारण पूछा. भगवान विष्णु ने उन्हें प्रयागराज जाने के लिए कहा था.
साथ ही उन्‍होंने कहा कि यदि वह प्रयागराज जाकर सरस्वती का जल ग्रहण करेंगे तो उनके जितने भी शारीरिक कष्ट हैं, वे दूर हो जाएंगे. भगवान विष्णु की बात मानकर नागवासुकि प्रयागराज की पावन धरती पर आए और उन्होंने सरस्वती का जल ग्रहण किया. शारीरिक कष्ट खत्म होने के बाद वह यहीं वास करने लगे.
मान्‍यता है कि भगवान विष्णु ने देवताओं से यह भी कहा था कि नागवासुकि की पूजा के बिना प्रयागराज के दर्शन अधूरे रहेंगे, जिसको सभी देवी देवताओं ने स्वीकार भी किया. यही वजह है कि तीर्थराज प्रयाग का दर्शन करने आए श्रद्धालु आज भी संगम किनारे दारागंज में स्थित नागवासुकि के दर्शन करने पहुंचते हैं.
मंदिर के मुख्य पुजारी श्यामधर त्रिपाठी ने बताया कि ऐसी भी मान्यता है कि जब औरंगजेब सभी मंदिरों को तोड़ रहा था, तब वह नागवासुकि मंदिर में भी पहुंचा था और उसने नागवासुकी की प्रतिमा के गर्दन और कमर पर तलवार मारी, लेकिन ऐसा करते ही वह बेहोश हो गया था. इसके बाद वह वहां से भाग खड़ा हुआ था.
मुख्य पुजारी ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना ब्रह्माजी के मानस पुत्र द्वारा की गई है. वहीं नागपंचमी को भगवान नागवासुकि के वार्षिकोत्सव के तौर पर यहां मनाया जाता है. इस दौरान लोग कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए इस मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए दूर-दूर से आते हैं.
नागपंचमी पर मंदिर में नागवासुकि के दर्शनों के लिए भोर से ही लोगों का तांता लग जाता है. नाग बाबा को जल, दूध, लावा और मिष्ठान अर्पण करने के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है. यही नहीं, शाम को नागवासुकि का भव्य श्रृंगार किया जाता है, जिसे देखने के लिए भक्त दूर-दूर से यहां आते हैं.
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