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- कर्ज चुकाने का ये है...
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हर कोई अपने जीवन में धनवान बनने की इच्छा रखता है इसके लिए लोग रात दिन मेहनत भी करते हैं लेकिन फिर भी अगर आपको आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है या फिर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है जिसे आप चुका नहीं पा रहे हैं तो ऐसे में निराश या परेशान होने की जरूरत नहीं है।
सप्ताह में केवल एक दिन भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा करें इसके बाद गणेश मंदिर जाकर प्रभु की प्रतिमा के समक्ष बैठकर घी का दीपक जलाएं और ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का सच्चे मन से 11 बार पाठ करें मान्यता है कि इस आसान से उपाय को करने से हर तरह के कर्ज से मुक्ति मिल जाती है साथ ही साथ धन लाभ के योग बनते हैं और जातक पर प्रभु की कृपा सदा बनी रहती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र पाठ।
ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र—
॥ ध्यान ॥
ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम् ।
ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम् ॥
॥ मूल-पाठ ॥
सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,
एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित: ।
दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत् ॥
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