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धर्म अध्यात्म: सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का पर्व बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन सनातन धर्म को मानने वाली महिलाएं हरे वस्त्र धारण करके हाथों में मेहंदी लगा के विधि विधानपूर्वक शिव परिवार की पूजा-आराधना करने के बाद अपने पति की लंबी आयु और ईश्वर की प्राप्ति के लिए हरियाली तीज का व्रत रखती है. इतना ही नहीं वैवाहिक जीवन में अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हो इसके लिए कई जगह पर सुहागिन महिलाएं निर्जल का भी व्रत रखती हैं. ये बातें अयोध्या के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम ने कहीं.
पंडित कल्कि राम के मुताबिक, सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पाने के लिए यह व्रत रखा था. तब से यह व्रत निरंतर चलता आ रहा है. सनातन धर्म को मानने वाली महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए हरियाली तीज का व्रत रखती हैं, तो वही कुंवारी लड़कियां अच्छा वर पाने के लिए हरियाली तीज का व्रत रखती हैं. इस साल हरियाली तीज का व्रत 19 अगस्त को रखा जाएगा.
16 शृंगार करती हैं महिलाएं
कहा जाता है कि हरियाली तीज के दिन व्रत रखने के प्रभाव से माता पार्वती को भगवान शंकर पति के रूप में मिले थे. यही वजह है कि हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के साथ-साथ कुंवारी लड़कियां भी करती हैं. हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं 16 शृंगार करती हैं. माता गौरी भगवान शंकर समेत उनके परिवार की पूजा आराधना करती हैं. इतना ही नहीं हरियाली तीज का पर्व उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. सभी महिलाएं हरी-हरी चूड़ियां हरे-हरे वस्त्र धारण करके भोलेनाथ और माता पार्वती की आराधना में लीन होकर सावन के झूलों का भी आनंद लेती हैं.
Manish Sahu
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