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ऐसे हुई थी रमजान में रोजा रखने की शुरुआत, इन आदतों को रखना पड़ता है नियंत्रित
इस्लामिक कैलेंडर (Islamic Calendar) का नौवां महीना रमजान बेहद पाक माना गया है. इसे अल्लाह (Allah) की रहमत और बरकत का महीना माना जाता है. चांद दिखने के साथ रमजान के महीने की शुरुआत होती है और चांद दिखने के साथ ही इसका समापन होता है. रमजान समापन के बाद ईद मनाई जाती है. रमजान के दौरान व्यक्ति अपनी आदतों, विचारों और मन को शुद्ध करता है और अल्लाह से अपने रिश्तों को मजबूत करने के लिए अधिक से अधिक नेक काम करता है. रमजान के महीने में रोजा (Roza) रखना हर मुसलमान का फर्ज बताया गया है. रोजे के नियम काफी कठिन होते हैं, इसमें सूर्योदय के बाद से सूर्यास्त तक कुछ भी खाने और पीने की मनाही होती है. गर्मियों के दिनों में रोजा रखकर मुसलमान अल्लाह के प्रति अपने प्रेम और समर्पण को जाहिर करता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर रोजा रखने की शुरुआत कैसे हुई थी ? आइए आपको बताते हैं इस बारे में.