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धर्म-अध्यात्म
शनि दोष और राहु को शांत करने के लिए पहना जाता है ये रत्न, धारण करते ही बदल जाती है लोगों की किस्मत
Tulsi Rao
12 March 2022 4:59 PM GMT
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गोमेद चंद्रमा का रत्न माना जाता है. इसलिए इसे पहनते ही चंद्र दोष से भी छुटकारा मिलता है. जानें, किन जातकों को गोमेद पहनना फायदेमंद रहता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रत्न शास्त्र के अनुसार गोमेद रत्न शनि दोष को दूर करने और राहु को शांत करने के लिए पहना जाता है. जिन लोगों की कुंडली में शनि दोष होता है उन्हें भी गोमेद पहनने की सलाह दी जाती है. इसे धारण करने से शनि के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है. गोमेद चंद्रमा का रत्न माना जाता है. इसलिए इसे पहनते ही चंद्र दोष से भी छुटकारा मिलता है. जानें, किन जातकों को गोमेद पहनना फायदेमंद रहता है.
ये जातक धारण करें गोमेद रत्न
- किसी भी व्यक्ति की कुंडली में राहु के उच्च स्थान पर बैठने पर गोमेद पहनने की सलाह दी जाती है. इस रत्न को धारण करने से उन्हें धन लाभ होता है और बिगड़े हुए सबी काम बन जाते हैं.
- ज्योतिषीयों के मुताबिक जन्मपत्री में राहु पहले, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें और दसवें भाव में होने पर उस जातक को गोमेद धारण करने की सलाह दी जाती है. गोमेद पहनने से राहु की स्थिति मजबूत होती है. वहीं, जन्मपत्री में राहु की स्थिति एकादश भाव में होने पर गोमेद रत्न पहना जाता है.
- कुंडली में राहु के उच्च स्थान पर विराजमान होने पर गोमेद भाग्यशाली साबित होता है.
- वृष, मिथुन, कन्या, तुला और कुंभ राशि के जातकों को गोमेद धारण करने की सलाह दी जाती है.
- कुंडली में राहु के नीच स्थान में होने पर बनते-बनते काम बिगड़ जाते हैं तो उन्हें ज्योतिष की सलाह से गोमेद पहनना चाहिए. इससे राहु की स्थिति सही होती है.
- राजनीति में करियर चाहने वाले लोगों को भी गोमेद धारण करना चाहिए.
गोमेद रत्न धारण करने का तरीका
रत्न शास्त्र के अनुसार गोमेद को चांदी या फिर अष्टधातु की बनी अंगूठी में बनवा कर ही धारण करें. इसे आर्दा, शतभिषा, स्वाति नक्षत्र के अलावा शनिवार के दिन पहनना शुभ गया है. शनिवार के दिन गोमेद पहनने से पहले शुक्रवार की रात अंगूठी को गंगाजल, दूध, और शहद को मिलाकर उस मिश्रण में डाल दें. शनिवार के दिन सभी कामों में निविर्त होने के बाद स्नान कर लें और दूध से निकालकर गंगाजल डालें और अच्छे से साफ करके कपड़े से साफ कर लें. इसके बाद राहु के मंत्र 'ऊँ रां राहवे नम:' का 108 बार जाप करके गोमेद को मध्यमा अंगुली में धारण करें.
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