धर्म-अध्यात्म

हर समस्या से छुटकारा दिलाता है ये रत्न, बिनजेस में होता है आर्थिक लाभ

Tulsi Rao
30 Jan 2022 4:37 PM GMT
हर समस्या से छुटकारा दिलाता है ये रत्न, बिनजेस में होता है आर्थिक लाभ
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उसी प्रकार केतु के लिए लहसुनिया रत्न खास माना गया है. ऐसे में जानते हैं कि लहसुनिया किसे धारण करना चाहिए और इसे धारण करने के क्या नियम हैं

रिश्ता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्योतिष शास्त्र में रत्न का विशेष महत्व है. ऐसा इसलिए क्योंकि रत्नों के प्रभाव से ग्रह-दोष शांत होते हैं. जिस प्रकार हीरा, शुक्र के लिए पहना जाता है. मूंगा, मंगल के लिए धारण किया जाता है, उसी प्रकार केतु के लिए लहसुनिया रत्न खास माना गया है. ऐसे में जानते हैं कि लहसुनिया किसे धारण करना चाहिए और इसे धारण करने के क्या नियम हैं.

क्यों धारण किया जाता लहसुनिया?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार केतु के लिए लहसुनिया धारण करना शुभ है. यह रत्न अत्यंत चमकीला होता है. देखने में यह बिल्ली की आंख की तरह होता है, इसलिए इसे कैट्स आई (Cats Eye) भी कहा जाता है. जब कुंडली में केतु के कारण अशुभ योग बनता है तो इससे मुक्ति पाने के लिए ज्योतिषी लहसुनिया धारण करने की सलाह देते हैं. इसे धारण करने से मानसिक समस्या के साथ-साथ हर प्रकार की समस्याओं से भी छुटकारा मिलने लगता है.
किसे धारण करना चाहिए लहसुनिया?
-ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक अगर कुंडली में केतु कमजोर स्थिति में है तो उसे मजबूत करने के लिए लहसुनिया धारण करना चाहिए. इसे धारण करने से मन का भय खत्म हो जाता है.
-जिन जातकों की कुंडली में केतु पहले, तीसरे, चौथे, पांचवें, नवें और 10वें भाव में हो, उन्हें लहसुनिया पहनना लाभकारी साबित होता है.
-अगर कुंडली में केतु का सूर्य के साथ युति हो तो इस स्थिति में भी लहसुनिया पहनना लाभकारी होता है.
-अगर कुंडली में केतु मंगल, शुक्र और बृहस्पति के साथ हो तो लहसुनिया पहना जा सकता है. इसके अलावा अगर कुंडली में केतु की महादशा या अंतर्दशा है तो भी लहसुनिया पहनना अच्छा माना गया है.
-अगर बिजनेस में लगातार आर्थिक नुकसान हो रहा है तो किसी ज्योतिषी से सलाह लेकर लहसुनिया धारण कर सकते हैं.
रखें इन बातों का ध्यान
-माणिक्य, मोती और पुखराज के साथ लहसुनिया धारण नहीं करना चाहिए. इसके अलावा हीरे के साथ भी लहसुनिया धारण नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे आर्थिक नुकसान हो सकता है.
-जिन लोगों की कुंडली में केतु दूसरे, सातवें, आठवें या 12वें भाव में हो तो उन्हें लहसुनिया धारण नहीं करना चाहिए.


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