धर्म-अध्यात्म

ये एकादशी पितरों को नरक की यातनाओं से ​मुक्ति दिलाती है.....जानें पूजा विधि और कथा

Bhumika Sahu
8 Dec 2021 3:01 AM GMT
ये एकादशी पितरों को नरक की यातनाओं से ​मुक्ति दिलाती है.....जानें पूजा विधि और कथा
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हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी होती है. ये एकादशी पितरों को नरक की यातनाओं से ​मुक्ति दिलाती है. इस बार ये एकादशी 14 दिसंबर को पड़ रही है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर माह में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी के नाम से जाना जाता है. एकादशी का दिन श्रीहरि की पूजा को समर्पित होता है. हर माह में दो एकादशी पड़ती हैं और सभी एकादशियों के नाम भी अलग अलग हैं. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदायिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है. मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के पाप कटते हैं और मृत्यु के बाद वो व्यक्ति परमधाम की ओर अग्रसर होता है.

इसके अलावा ये एकादशी पितरों को नरक की यातनाओं से ​मुक्ति दिलाती है. मोक्षदा एकादशी के व्रत से 23 एकादशी के व्रत के समान पुण्य की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि यदि इस व्रत का पुण्य पितरों को अर्पित कर दिया जाए तो इससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. सभी पितरों को सद्गति मिलने के कारण वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं, जिससे परिवार फलता फूलता है. इस बार मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर मंगलवार को पड़ रही है. यहां जानिए मोक्षदा एकादशी की पूजा विधि और कथा.
ये है पूजन विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके पूजा के स्थान को साफ करके लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा रखें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान को धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें. मोक्षदा एकादशी व्रत की कथा को पढ़ें या सुनें. घर में भगवद् गीता हो तो इसके सातवें अध्याया का पाठ करें. पूजा के बाद भगवान से गलती की क्षमायाचना करें. दिनभर व्रत रखें. संभव हो तो व्रत निर्जल रखें, न रख सकें तो फलाहार ले सकते हैं. रात में जागरण करके कीर्तन करें. दूसरे दिन स्नान के बाद किसी ब्राह्मण को भोजन खिलाकर व दक्षिणा देकर पैर छूकर आशीर्वाद लें और अपना व्रत खोलें.
शुभ मुहूर्त
एकदशी तिथि शुरू : 13 दिसंबर, रात्रि 9: 32 मिनट से
एकदशी तिथि समाप्त: 14 दिसंबर रात्रि 11:35 मिनट पर
व्रत के पारण का समय: 15 दिसंबर सुबह 07:05 बजे से सुबह 09:09 बजे तक
ये है कथा
पुरातन काल में गोकुल नगर में वैखानस नाम के राजा राज्य करते थे. एक रात उन्होंने देखा उनके पिता नरक की यातनाएं झेल रहे हैं. उन्हें अपने पिता को दर्दनाक दशा में देख कर बड़ा दुख हुआ. सुबह होते ही उन्होंने राज्य के विद्धान पंडितों को बुलाया और अपने पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा. उनमें से एक पंडित ने कहा आपकी समस्या का निवारण भूत और भविष्य के ज्ञाता पर्वत नाम के पंहुचे हुए महात्मा ही कर सकते हैं. राजा पर्वत महात्मा के आश्रम में गए और उनसे अपने पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा. तब महात्मा ने उन्हें बताया कि उनके पिता ने अपने पूर्व जन्म में एक पाप किया था, जिसका पाप वे नर्क में भोग रहे हैं.
राजा न कहा, कृपया उनकी मुक्ति का मार्ग बताएं. महात्मा बोले, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में जो एकादशी आती है, उस एकादशी का आप उपवास करें. उस एकादशी के पुण्य के प्रभाव से ही आपके पिता को मुक्ति मिलेगी. राजा ने महात्मा के कहे अनुसार व्रत किया उस पुण्य के प्रभाव से राजा के पिता को मुक्ति मिल गई और वे स्वर्ग में जाते हुए अपने पुत्र को आशीर्वाद देते हुए गए.


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