धर्म-अध्यात्म

इस दिन है योगिनी एकादशी...जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

Subhi
1 July 2021 1:38 AM GMT
इस दिन है योगिनी एकादशी...जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
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हर माह में दो एकादशी व्रत होते हैं। प्रत्येक एकादशी व्रत का अपना महत्व होता है। आषाढ़ मास में दो एकादशी व्रत है,

हर माह में दो एकादशी व्रत होते हैं। प्रत्येक एकादशी व्रत का अपना महत्व होता है। आषाढ़ मास में दो एकादशी व्रत है, पहला योगिनी एकादशी व्रत और दूसरा देवशयनी एकादशी व्रत। योगिनी एकादशी व्रत इस वर्ष जुलाई माह के दूसरे सप्ताह में 5 तारीख को है। योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पीले पुष्प, पीले फल, बेसन के लड्डू या गुड़ तथा चना का भोग, अक्षत्, धूप, दीप, पीले वस्त्र आदि से पूजा की जाती है। पूरे दिन व्रत रखा जाता है और भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। योगिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलती है और उसके सभा पाप मिट जाते हैं।

योगिनी एकादशी 2021 ति​थि
इस वर्ष योगिनी एकादशी 05 जुलाई दिन सोमवार को है। आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 04 जुलाई को शाम को 07 बजकर 55 मिनट पर लग रही है, जो 05 जुलाई दिन सोमवार को रात 10 बजकर 30 मिनट तक है।
पारण का समय
एकादशी व्रत का पारण अगले दिन सुबह में किया जाता है। योगिनी एकादशी व्रत का पारण 06 जुलाई दिन मंगलवार को सुबह 05 बजकर 29 मिनट से सुबह 08 बजकर 16 मिनट के मध्य कर लेना चाहिए।
पूजा विधि

योगिनी एकादशी के दिन प्रात: स्नान आदि से निवृत हो जाएं और स्वच्छ वस्त्र हो सके तो पीले रंग का धारण कर लें। इसके बाद हाथ में जल लेकर एकादशी व्रत और विष्णु पूजा का संकल्प लें। इसके बाद एक चौकी पर पीले रंग का आसन डालकर विष्णु जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर दें। फिर उनका जल से अभिषेक करें। उनको पुष्प, फल, चंदन, तुलसी दल, अक्षत्, पीले वस्त्र, धूप, दीप, पंचामृत आदि अर्पित करें। फिर विष्णु चालीसा और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और योगिनी एकादशी व्रत की कथा का श्रवण करें।
पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती करें। इसके बाद प्रसाद लोगों को वितरित करें। रात के समय में भगवत जागरण करें। फिर अगले दिन द्वादशी को प्रात: स्नान आदि करके पूजा करें। ब्राह्मणों को दान दें। इसके बाद स्वयं पारण करके व्रत को पूरा करें।


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