धर्म-अध्यात्म

आज है यशोदा जयंती, जानें कथा और महत्व

Subhi
22 Feb 2022 2:39 AM GMT
आज है यशोदा जयंती, जानें कथा और महत्व
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22 फरवरी को यशोदा जयंती है। यह पर्व हर वर्ष फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान मैया यशोदा की जयंती की श्रद्धापूर्वक पूजा-उपासना की जाती है।

22 फरवरी को यशोदा जयंती है। यह पर्व हर वर्ष फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान मैया यशोदा की जयंती की श्रद्धापूर्वक पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि मैया यशोदा की पूजा-उपासना करने से साधक के जीवन में सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आइए, यशोदा के भगवान श्रीकृष्ण की माता बनने की कथा जानते हैं-

यशोदा माता की कथा

सनातन शास्त्रों में निहित है कि द्वापर युग में एक बार ने भगवान विष्णु जी की कठिन भक्ति और तपस्या कर उन्हें पुत्र रूप में प्राप्त करने की कामना की। मैया यशोदा की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने दर्शन देकर कहा-द्वापर युग में ही आपकी इच्छा पूर्ण होगी। यह उस समय होगा। जब मैं भगवान श्रीकृष्ण के रूप में वासुदेव जी के घर जन्म लूंगा। कालखंड में मेरा पालन-पोषण आपके और नंदबाबा के जरिए होगा।

भगवान विष्णु जी के कथनों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण जी का जन्म मैया देवकी के गर्भ से कंस के कारागर में हुआ। कंस को पता था कि देवकी की संतान हाथों उसका वध होगा। इसके लिए कंस हमेशा देवकी के पुत्र और पुत्री का वध कर देता था। यह जानकर देवकी और वासुदेव ने भगवान श्रीकष्ण को मैया यशोदा के घर छोड़ आया था। मैया यशोदा भगवान को पुत्र रूप में प्राप्त कर धन्य हो गई। कालांतर में भगवान श्रीकृष्ण ने मैया यशोदा को खूब सताया था। जब कभी भगवान को अवसर मिलता था, माखन खा जाते थे। इसके लिए कृष्ण कन्हैया को माखनचोर भी कहा जाता है।

मैया यशोदा ही नहीं, बल्कि गोपियां भी भगवान श्रीकृष्ण से परेशान रहती थी। एक बार की बात है। जब भगवान कृष्ण जी ने मिट्टी खा ली थी। उस समय मैया ने डांटकर कृष्णजी को मुख खोलने की सलाह दी। मैया की डांट का सम्मान कर भगवान श्रीकृष्ण ने मुंह खोला, तो मैया कृष्ण जी के मुख में देखकर हैरान हो गई। भगवान श्रीकृष्ण के मुख में समस्त ब्रह्माण्ड व्याप्त था। तदोपरांत, भगवान विष्णु जी ने प्रकट होकर मैया यशोदा को स्मरण दिलाया कि वह साधारण बालक मैं ही हूं। भगवान श्रीकृष्ण की लीला अपरंपार है।

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