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इस दिन है वैशाख माह का दूसरा प्रदोष व्रत, जानें शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में दो बार त्रयोदशी तिथि पड़ती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। दोनों त्रयोदशी तिथि शिव शंकर को समर्पित है। त्रयोदशी के दिन भगवान भोलेनाथ के भक्त विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने शिवीजी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों का जीवन सुख-शांति और समृद्धि से भर देते हैं। जो भी जातक नियम और निष्ठा से प्रदोष व्रत रखता है उसके सभी कष्टों का नाश होता है। त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष काल में माता पार्वती और भगवान भोलेशंकर की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष काल में की गई भगवान शिव की पूजा कई गुना ज्यादा फलदायी होती है। तो चलिए आज जानते हैं वैशाख माह में दूसरा प्रदोष व्रत कब है और इसके महत्व के बारे में...
कब है वैशाख माह का दूसरा प्रदोष व्रत
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 13 मई दिन शुक्रवार को शाम 05 बजकर 27 मिनट पर शुरु हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 14 मई शनिवार को दोपहर 03 बजकर 22 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय में की जाती है। इसलिए ये प्रदोष व्रत 13 मई को रखा जाएगा। वहीं शुक्रवार के दिन त्रयोदशी तिथि होने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
पूजा मुहूर्त
वैशाख माह के प्रदोष की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 04 मिनट से रात 09 बजकर 09 मिनट तक है। इसके अलावा इस दिन शाम करीब पौने 4 बजे से सिद्धि योग लग रहा है और हस्त नक्षत्र रहेगा। ये दोनों ही मांगलिक एवं शुभ कार्यों के लिए अच्छे माने जाते हैं।
शुक्र प्रदोष व्रत वाले दिन प्रात: स्नान आदि करके साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद भोलेनाथ को याद करके व्रत एवं पूजा का संकल्प करें। फिर शाम के शुभ मुहूर्त में किसी शिव मंदिर जाकर या घर पर ही भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा करें।
पूजा के दौरान शिवलिंग को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान कराएं। उसके बाद सफेद चंदन का लेप जरूर लगाएं। भगवान भोलेनाथ को अक्षत, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी का पत्ता, सफेद फूल, शहद, भस्म, शक्कर आदि अर्पित करें। इस दौरान ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें।
पूजा के बाद शिव चालीसा, गुरु प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें। घी का दीपक जलाएं और शिव जी की आरती करें। इसके बाद पूजा का समापन क्षमा प्रार्थना से करते हुए शिवजी के सामने अपनी मनोकामना व्यक्त कर दें।
वहीं इसके अगले दिन सुबह स्नान आदि के बाद फिर से शिव जी की पूजा करें। फिर सूर्योदय के बाद पारण करें। इस दिन विधि-विधान से शिवजी की पूजा करने से भगवान भोलेनाथ एक आशीर्वाद मिलता है।