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24 दिसंबर यानी शुक्रवार को पौष कृष्ण पक्ष की अमावस्या है। अमावस्या दोपहर बाद 3 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। बता दें कि उड़ीसा में पौष माह की अमावस्या को बकुला अमावस्या के नाम से जाना जाता है। मालूम हो कि प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष में अमावस्या और शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा पड़ता है। शास्त्रों में इन दोनों का अलग-अलग महत्व बताया गया है। अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शुभ मुहूर्त
पौष माह, कृष्ण पक्ष की अमावस्या का आरंभ- गुरुवार शाम 07 बजकर 13 मिनट से शुरू (22 दिसंबर, 2022)
पौष माह, कृष्ण पक्ष की अमावस्या समापन- पौष माह, कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक (23 दिसंबर, 2022)
पौष अमावस्या पूजा विधि
प्रात:काल उठकर किसी पवित्र नदी या गंगा स्नान करें
नदी में स्नान संभव नहीं है तो घर पर बाल्टी में गंगा जल मिला लें
स्नान के बाद भगवान सूर्य को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें
मंदिर में जाकर दीप जलाएं
भगवान विष्णु और भोलेनाथ की पूजा अर्चना करें
जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न या धन दान करें
अमावस्या के दिन जरूर करें ये काम
अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए।
पितृ दोष से मुक्ति और अपने पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए अमावस्या के दिन दूध, चावल की खीर बनाकर, गोबर के उपले या कंडे की कोर जलाकर, उस पर पितरों के निमित्त खीर का भोग लगाना चाहिए।
भोग लगाने के बाद थोड़ा-सा पानी लेकर अपने दायें हाथ की तरफ, यानी भोग की बाई साइड में छोड़ दें।
अगर आप दूध-चावल की खीर नहीं बना सकते तो आज के दिन घर में जो भी शुद्ध ताजा खाना बना है, उसका ही पितरों को भोग लगा दें।
साथ ही अमावस्या के दिन एक लोटे में जल भरकर, उसमें गंगाजल, थोड़ा-सा दूध, चावल के दाने और तिल डालकर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके पितरों का तर्पण करना चाहिए।