धर्म-अध्यात्म

इस दिन है वर्ष 2022 की पहली एकादशी, जानें पूजा विधि

Subhi
4 Jan 2022 2:26 AM GMT
इस दिन है वर्ष 2022 की पहली एकादशी, जानें पूजा विधि
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सनातन धर्म में एकादशी पर्व का विशेष महत्व है। वर्ष के प्रत्येक माह के दोनों पक्षों में दो एकादशी पड़ती है। इस प्रकार पौष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी 13 जनवरी को है।

सनातन धर्म में एकादशी पर्व का विशेष महत्व है। वर्ष के प्रत्येक माह के दोनों पक्षों में दो एकादशी पड़ती है। इस प्रकार पौष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी 13 जनवरी को है। पौष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-उपासना की जाती है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होती है। संतान प्राप्ति की कामना करने वाले साधकों को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। सनातन शास्त्रों में निहित है कि एकादशी व्रत करने से व्रती को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। आइए, पौष पुत्रदा एकादशी की पूजा तिथि और विधि जानते हैं-

पूजा तिथि
हिंदी पंचांग के अनुसार, 13 जनवरी, 2022 को पौष पुत्रदा एकादशी है। पौष पुत्रदा एकादशी की तिथि 12 जनवरी को शाम में 04 बजकर 49 मिनट पर शुरू होकर 13 जनवरी को शाम में 7 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। व्रती 13 जनवरी को दिन के किसी समय भगवान श्रीहरि और माता लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं। हालांकि, सुबह के समय पूजा करना अधिक पुण्यकारी और फलदायी होता है।
पूजा विधि
इस व्रत की शुरुआत दशमी तिथि से हो जाती है। इस दिन व्रती को लहसुन, प्याज और तामसी भोजन का परित्याग कर देना चाहिए। निशाकाल में भूमि पर शयन करना चाहिए। एकादशी को ब्रह्म बेला में उठकर सर्वप्रथम अपने आराध्य देव को स्मरण और प्रणाम करना चाहिए। इसके बाद नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करना चाहिए। तत्पश्चात, आमचन कर व्रत संकल्प लें। अब भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा, फल, फूल, दूध, दही, पंचामृत, कुमकुम, तांदुल, धूप-दीप आदि से करें। दिनभर उपवास रखें। व्रती चाहे तो दिन में एक फल और एक बार पानी ग्रहण कर सकते हैं। शाम में आरती-प्रार्थना के बाद फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।

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