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- इस दिन है सोमवती...
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। धार्मिक रूप से इस अमावस्या के दिन स्नान-दान का बड़ा ही महत्व है। मान्यता है कि इस दिन किसी तीर्थ स्थान पर जाकर स्नान-दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिये अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण भी किया जाता है। सोमवती अमावस्या के उत्सव पर भगवान शिव को व्रत द्वारा प्रसन्न किया जाता है। महिलाएं सोमवती अमावस्या के व्रत को अपने पति की दीघार्यु की कामना से रखती हैं। यह व्रत कोई भी व्यक्ति रख सकता है। आइए जानते सोमवती अमावस्या का महत्व और तिथि
सोमवार के दिन आने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस अमावस्या का धार्मिक दृष्टि से बड़ा ही महत्व बताया गया है।ऐसी मान्यता है कि इस अमावस्या के दिन व्रत पूजन और पितरों को जल तिल देने से बहुत ही पुण्य की प्राप्ति होती है। सोमवार का दिन भगवान शिव का दिन माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन व्रत करने और शिव पार्वती की पूजा करने से से सुहाग की आयु लंबी होती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।दांपत्य जीवन में स्नेह और सद्भाव बढ़ाने के लिए भी सुहागिनों को सोमवती अमावस्या का व्रत पूजा करना चाहिए। इस दिन की गई पूजा से नकारात्मक विचार दूर होते हैं। भगवान शिव के उपासकों द्वारा बड़े स्तर पर यज्ञों का आयोजन किया जाता है। इस दिन की पूजा को अमावस्या तिथि के अनुसार ही मनाया जाना चाहिए।
यदि संभव हो तो सोमवती अमावस्या के दिन गंगा स्नान करें। यदि न कर पाएं तो घर में हिन स्नान करते समय गंगाजल मिला लें।
सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष का पूजन करें। मान्यता है कि पीपल में 33 कोटि देवी-देवता निवास करते हैं। ऐसे में सौभाग्य प्राप्ति के लिए पीपल देवता का पूजन करें।
पीपल के वृक्ष के पूजन के बाद पीले रंग के पवित्र धागे को 108 बार परिक्रमा करके बांधें।
इसके दिन शनि मंत्र का पाठ करें, लाभ मिलेगा।
जरूरतमंदों और गरीबों को भोजन कराएं और उनको वस्त्र और धन का दान दें।
पितृ तर्पण के लिए सोमवती अमावस्या का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है, इसलिए दोपहर के समय पितरों की शांति के लिए पूजा करें।