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हिंदू धर्म में शनि ग्रह का विशेष महत्व है. शनिदोष को दूर करने के लिए शनिदेव की पूजा अर्चना करते हैं.
हिंदू धर्म में शनि ग्रह का विशेष महत्व है. शनिदोष को दूर करने के लिए शनिदेव की पूजा अर्चना करते हैं. शनिदेव को धर्म और न्याय का देवता कहते हैं, वो मनुष्य के कर्मों के हिसाब से फल देते हैं. इसके अलावा शनिवार को शनिदेव की पूजा करने से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमवस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है. इस दिन शनि देव का जन्म हुआ था. इस बार शनि जयंती 10 जून को गुरुवार को मनाई जाएगी. इस दिन शनि देव की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. आइए जानते हैं शनि जयंती से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में.
शुभ मुहूर्त
आमवस्या तिथि का आरंभ 9 जून को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से
आमवस्या तिथि का समापन 10 जून को शाम 04 बजकर 22 मिनट तक रहेगा.
पूजा विधि
शास्त्रों के अनुसार, शनि जयंती पर शनि देव की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. इस दिन सुबह उठकर स्नान कर व्रत और पूजा करने का संकल्प लें. शनिदेव की मूर्ति पर तेल, फूल, माला आदि चढ़ाएं. इस दिन काली उड़द और तिल चढ़ाने से शुभ होता है. इसके बाद दीपक जलाएं और शनि चालीसा का पाठ करें. इस दिन किसी निर्धन व्यक्ति को खाना खिलाने से अच्छा होता है. इसके अलावा अपने सामर्थ्य के अनुसार दान- पुण्य करना चाहिए. कई लोगों को लगता है कि शनि देव सिर्फ दुख और परेशानियां देते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है, शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के हिसाब से फल देते हैं.
शनिदेव को इस तरह करें प्रसन्न
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए पूजा- पाठ के बाद इन मंत्रों का जाप करें. इन मंत्रों का जाप करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी. ध्यान रहें कि इन मंत्रों का जाप करने से पहले तेल का दीपक जलाएं और मुख दक्षिण दिशा में होना चाहिए. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इन मंत्रों को कम से कम 11 माल तक जाप करना चाहिए.
"ऊं शं अभयहस्ताय नमः"
"ऊं शं शनैश्चराय नमः"
"ऊं नीलांजनसमाभामसं रविपुत्रं यमाग्रजं छायामार्त्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम"
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