धर्म-अध्यात्म

इस दिन है शनि अमावस्या, जाने पौराणिक महत्व

Subhi
30 Nov 2021 3:23 AM GMT
इस दिन है शनि अमावस्या, जाने पौराणिक महत्व
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हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। ये दोनों तिथियां चंद्रमा की कलाओं पर आधारित होती है। इन दोनों तिथियों पर पवित्र नदियों में स्नान करने और दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। ये दोनों तिथियां चंद्रमा की कलाओं पर आधारित होती है। इन दोनों तिथियों पर पवित्र नदियों में स्नान करने और दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस माह में अमावस्या तिथि 04 दिसंबर को पड़ रही है। इस दिन शनिवार होने के कारण शनैश्चरी अमावस्या के संयोग निर्माण हो रहा है। ज्योतिषशास्त्र में शनैश्चरी अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन को शनिदेव के पूजन और शनिदोष की समाप्ति के लिए विशिष्ट माना जाता है। आइए जानते हैं कब है शनैश्चरी अमावस्या का संयोग और इस दिन के महत्व के बारे में....

कब है शनैश्चरी अमावस्या
पंचांग गणना के अनुसार मार्गशीर्ष या अगहन माह की अमावस्या तिथि 04 दिसंबर को पड़ रही है। अमावस्या तिथि 03 दिसंबर को शाम 04 बजकर 56 मिनट से शुरू हो कर 04 दिसंबर को दोपहर में 01 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। इस दिन शनिवार होने के कारण शनैश्चरी अमावस्या का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही इस दिन साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। एक साथ शनि अमावस्या और सूर्य ग्रहण का संयोग बहुत ही प्राभावशाली माना जाता है।
शनैश्चरी अमावस्या का पौराणिक महत्व
शनिदेव को न्याय और दण्ड का देवता माना जाता है। शनिवार का दिन विशेष रूप से शनि देव को समर्पित है। मान्यता है कि शनि देव का जन्म आमावस्या तिथि पर शनिवार के दिन हुआ था। इसलिए शनैश्चरी अमावस्या का ये विशेष संयोग शनिदेव को प्रसन्न करने और शनिदोष से मुक्ति पाने के लिए विशिष्ट है। इसके साथ ही इस दिन सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। सूर्य देव, शनिदेव के पिता हैं लेकिन उनकी उपेक्षा के कारण शनिदेव उनसे नाराज रहते हैं। इस दिन शनि देव के मंत्रों का जाप कर, सरसों के तेल का दान करना चाहिए। शनिदोष से मुक्ति मिलती है।

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