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- इस दिन है सरस्वती...
05 फरवरी, शनिवार के दिन बसंत पंचमी का त्योहार धूम-धाम के साथ मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व हर वर्ष बड़े ही उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। इस तिथि पर देवी सरस्वती की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि बंसत पंचमी तिथि पर मां सरस्वती की पूजा करने से वे जल्दी प्रसन्न होती है। बसंत पंचमी के त्योहार को सरस्वती पूजा, वागीश्वरी जयंती, रति काम महोत्सव, बसंत उत्सव आदि कई नामों के साथ मनाया जाता है। मान्यता है बसंत पंचमी के दिन ही बुद्धि, ज्ञान और विवेक की जननी माता सरस्वती प्रगट हुई थीं, इस कारण से हर वर्ष उत्साह के साथ देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। वैसे तो कई मौकों पर मां सरस्वती की पूजा-आराधना की जाती हैं लेकिन बसंत पंचमी के दिन मां की पूजा विशेष फल देने वाली मानी गई है। आइए जानते हैं इस वर्ष कब है सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त और मां को प्रसन्न करने के लिए किन मंत्रों का करना चाहिए जाप...
पंचमी तिथि पर सुबह 07 बजकर 19 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक माता सरस्वती की पूजा कर सकते हैं।
सरस्वती पूजा विधि
सबसे पहले पंचमी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा का संकल्प लें। इस दौरान पीलें रंग का वस्त्र धारण करें।
इसके बाद गंगाजल से पूजा स्थल पर छिडकाव के साथ पूजा आरंभ करें। चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर मां सरस्वती की प्रतिमा को स्थापित करें।
देवी सरस्वती को पीला वस्त्र, पीला चंदन, पीला फूल, पीला भोग, हल्दी, अक्षत और केसर को अर्पित करें।
इसके बाद मां को भोग लगाएं और मां सरस्वती की आरती करें। आरती करते समय सरस्वती मंत्र और वंदना का का पाठ करें।
देवी सरस्वती को इस मंत्र से करें प्रसन्न
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥
माता सरस्वती का बीज मंत्र
ॐ ऐं ऐं ऐं महासरस्वत्यै नम: का जाप करें।
सूर्य देवता का मंत्र
ॐ घृणि सूर्याय नम:
भगवान विष्णु का मंत्र
ॐ पालनहाराय विष्णुवे विद्यारूपाय नम:।