धर्म-अध्यात्म

इस दिन है संकष्टी चतुर्थी, करें भगवान गणेश की पूजा

Subhi
15 Jun 2022 5:01 AM GMT
इस दिन है संकष्टी चतुर्थी, करें भगवान गणेश की पूजा
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हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी कहलाती है। वहीं आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी कृष्णपिंगल चतुर्थी कहलाती है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी कहलाती है। वहीं आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी कृष्णपिंगल चतुर्थी कहलाती है। इस बार कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी 17 जून, शुक्रवार को है। प्रत्येक माह की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विधान है। इस दिन भक्तगण सुख, शांति और समृद्धि के लिए एकदन्त दयावन्त चार भुजा धारी भगवान श्री गणेश की विधि विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान गणेश भक्तों के लिए विघ्नहर्ता माने जाते हैं। कहा जाता है विघ्नहर्ता की पूजा करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर होते हैं। गणेश जी प्रथम पूज्य हैं और शुभता के भी प्रतीक हैं। मान्यता है कि इस दिन गणपति की पूजा तथा व्रत रखने से ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। तो चलिए जानते हैं शुभ फल की प्राप्ति के लिए एकदंत संकष्टी चतुर्थी के पूजा विधि के बारे में...

इस दिन है संकष्टी चतुर्थी, सुख-समृद्धि के लिए इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा

संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि

संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रातः काल उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजा स्थान की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़कें। फिर भगवान गणेश को वस्त्र पहनाएं और मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

इस दिन है संकष्टी चतुर्थी, सुख-समृद्धि के लिए इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा

सिंदूर से गणेश जी का तिलक करें व पुष्प अर्पित करें। इसके बाद भगवान गणेश को 21 दूर्वा की गांठ अर्पित करें। गणेश जी को घी के मोतीचूर के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं। पूजा समाप्त होने के बाद आरती करें और पूजन में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा मांगे।

इस दिन है संकष्टी चतुर्थी, सुख-समृद्धि के लिए इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती

पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,

चार भुजा धारी ।

माथे सिंदूर सोहे

मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती

पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े,

और चढ़े मेवा ।

लड्डुअन का भोग लगे

संत करें सेवा ॥

इस दिन है संकष्टी चतुर्थी, सुख-समृद्धि के लिए इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती

पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,

कोढ़िन को काया ।

बांझन को पुत्र देत

निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती

पिता महादेवा ॥

'सूर' श्याम शरण आए,

सफल कीजे सेवा ।

माता जाकी पार्वती

पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती

पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो,

शंभु सुतकारी ।

कामना को पूर्ण करो

जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती

पिता महादेवा ॥

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