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धर्म-अध्यात्म
इस दिन है संकष्टी चतुर्थी...जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Subhi
26 April 2021 4:05 AM GMT
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संकष्टी चतुर्थी व्रत हर माह में पड़ता है. वैशाख माह में संकष्टी चतुर्थी व्रत 30 अप्रैल शुक्रवार को है.
संकष्टी चतुर्थी व्रत हर माह में पड़ता है. वैशाख माह में संकष्टी चतुर्थी व्रत 30 अप्रैल शुक्रवार को है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन गणेश भगवान की पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और हर बाधा मिट जाती है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणेश (God Ganeshaa) भगवान को समर्पित है. गणेश भगवान रिद्धि, सिद्धि के देवता हैं. संकष्टी चतुर्थी का व्रत महिलाएं संतान के सेहतमंद जीवन और लंबी आयु की कामना के साथ करती हैं. आज बुधवार के दिन संकष्टी चतुर्थी है जोकि (बुधवार) गणेश भगवान का दिन है. यही वजह है कि इस संकष्टी चतुर्थी पर की जाने वाली पूजा का विशेष फल मिलेगा.
संकष्टी चतुर्थी 2021 शुभ मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी -30 अप्रैल 2021, शुक्रवार को
संकष्टी चतुर्थी के दिन चन्द्रोदय का समय – 10:48 रात
चतुर्थी तिथि के दौरान कोई चन्द्रोदय नहीं है.
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – 29 अप्रैल 2021 को रात 10:09 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त – 30 अप्रैल 2021 को शाम 07:09 बजे
संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व:
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. धर्म शास्त्रों के अनुसार, गणेश जी को प्रथम देव माना गया है,यही वजह है कि हर शुभ कार्य से पहले उनकी ही पूजा-अर्चना की जाती है. और उनका व्रत रखा जाता है. गणेश भगवान को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. इस व्रत को करने वाले जातकों के जीवन के कष्ट और बाधाएं गणेश भगवान हर लेते हैं.
गणेश ज की पूजा विधि:
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नान करने बाद पूजाघर की साफ सफाई करें, आसन पर बैठकर व्रत का संकल्प लें और पूजा शुरू करें. गणेश भगवान गणेश जी की प्रिय चीजें पूजा में अर्पित करें और उन्हें मोदक का भोग लगाएं. संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक व्रत रखा जाता है.
गणेश जी की आरती:
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
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