धर्म-अध्यात्म

इस दिन है रक्षाबंधन, जाने राखी बांधने का शुभ समय

Subhi
4 Aug 2021 2:40 AM GMT
इस दिन है रक्षाबंधन, जाने राखी बांधने का शुभ समय
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भाई बहन के बीच एक अनोखा रिश्ता होता है. उनके बीच प्यार भरी नोक-झोक हमेशा देखने को मिलती है. हिंदू धर्म में भी कुछ त्योहार होते हैं जो उनके प्यार का प्रतीक माना गया है

भाई बहन के बीच एक अनोखा रिश्ता होता है. उनके बीच प्यार भरी नोक-झोक हमेशा देखने को मिलती है. हिंदू धर्म में भी कुछ त्योहार होते हैं जो उनके प्यार का प्रतीक माना गया है. रक्षाबंधन एक ऐसा ही त्योहार है, जिसमें बहन अपने भाई की लंबी उम्र के लिए उसकी कलाई पर राखी बांधती है और भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वादा करता है.

हिंदू पंचांग के अनुसार, ये त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस पूर्णिमा को राखी पूर्णिमा कहा जाता है. इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 22 अगस्त 2021 को मनाया जाएगा. आइए जानते हैं इस दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में.

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 21 अगस्त 2021को शाम 07 बजे से लेकर 22 अगस्त 2021 की शाम 05 बजकर 31 मिनट तक होगी. पूजा का शुभ मुहूर्त 06 बजकर 15 मिनट सुबह से शाम 05 बजकर 31 मिनट कर रहेगा. राखी बांधने का शुभ मुहूर्त- 01 बजकर 42 मिनट दोपहर से शाम 04 बजकर 18 मिनट तक रहेगा.

रक्षा मंत्र का जाप करें

येन बुद्धो बलि: राजा दानवेंद्रो महाबल|

तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल||

इस श्र्लोक के अनुसार, बहन भाई की कलाई पर राखी बांधते हुए कहती हैं जिस रक्षा सूत्र में महान राजा बलि को बांधा गया था मैं उसी रक्षा सूत्र में तुम्हें बांधती हूं. हे राखी तुम अडिग रहना. अपने रक्षा संकल्प के कभी भी विचलित मत होना. इस कामना के साथ बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है.

इस त्योहार की तैयारी पहले से ही शुरू हो जाती है. इसके लिए एक थाली में कुमकुम, अक्षत, दीपक, मिठाई और राखी रखें. भाई को तिलक लगाकर उसकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधें. भाई की आरती उतारें, उसे मिठाई खिलाएं. राखी बांधने के बाद भाईयों को अपने सामर्थ्य के अनुसार तोहफा देना चाहिए.

पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान विष्णु राजा बलि के कहने पर पाताल लोक चले गए थे. तब श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षा सूत्र बांधकर विष्णु को मांगा था. इसके अलावा एक अन्य कथा है, राजसयू के यज्ञ में द्रोपदी ने भगवान कृष्ण को राखी की जगह अपने आंचला का टुकड़ा बांधा था. मान्यता है कि इसके बाद से बहनों द्वारा अपने भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई.



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