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- इस दिन है माघी...
सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथियों पर गंगा समेत सभी पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान किया जाता है। वहीं, माघ पूर्णिमा के दिन शाही स्नान किया जाता है। माघी पूर्णिमा के दिन गंगा तट पर उत्स्व जैसा माहौल रहता है। इस दिन पूजा, जप, तप और दान का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन पूजा, जप, तप और दान करने से व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। साथ ही व्यक्ति को मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति है। आइए, माघी पूर्णिमा की तिथि और पूजा विधि के बारे में सबकुछ जानते हैं-
माघी पूर्णिमा की तिथि
हिंदी पंचांग के अनुसार, माघ पूर्णिमा तिथि 16 फरवरी को सुबह 9 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर 16 फरवरी को रात में 10 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। साधक प्रातःकाल गंगा समेत पवित्र नदियों और सरोवरों में आस्था की डुबकी लगाकर तिलांजलि कर सकते हैं।
कोरोना वायरस महामारी के चलते पवित्र नदियों में स्नान करना संभव नहीं है। ऐसे में घर पर ही गंगाजल युक्त पानी से स्नान ध्यान कर सर्वप्रथम भगवान भास्कर को 'ॐ नमो नारायणाय' मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दें। इसके बाद तिलांजलि दें। इसके लिए सूर्य के सन्मुख खड़े होकर जल में तिल डालकर उसका तर्पण करें। भगवान नारायण की पूजा चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि अर्पित करें। अंत में आरती-प्रार्थना कर पूजा संपन्न करें। इसके बाद जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें।