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- इस दिन है कालभैरव...

भगवान कालभैरव को शिव का ही स्वरूप कहा गया है। वस्तुत: शिव और भैरव एक ही हैं। इसलिए जिस प्रकार शिवजी की पूजा से समस्त मनोरथ पूरे किए जा सकते हैं ठीक उसी प्रकार कालभैरव की पूजा भी सर्वसिद्धिदायक होती है। मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान कालभैरव की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए यह दिन कालभैरव जयंती या कालभैरव अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। कालभैरव जयंती 16 नवंबर 2022 बुधवार को आ रही है। भैरव की पूजा से साहस, बल, निर्भयता, अभयता प्राप्त होती है। अपने मनोरथ के अनुसार भैरव का पूजन करने से वह अवश्य पूरा होता है।
भैरव के वैसे तो 64 प्रकार के नाम बताए गए हैं किंतु आठ रूप मुख्य होते हैं असितांग भैरव, चंड भैरव, रूरू भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत्त भैरव, कपाल भैरव, भीषण भैरव और संहार भैरव। भैरव अष्टमी के अलावा रविवार या बुधवार को भैरव के इन आठ नामों का श्रद्धापूर्वक पाठ करने से सर्वसिद्धियों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा बटुक भैरव, स्वर्णाकर्षण भैरव, श्मशान भैरव आदि भी होते हैं।
भैरव मुख्यत: भगवान शिव का उग्र रूप है। इसलिए तांत्रिकों में मुख्य रूप से भैरव की ही पूजा की है। अनेक तांत्रिक भैरव के विविध रूपों की पूजा-साधना करते हैं। इनमें श्मशान भैरव प्रमुखता से पूजे जाते हैं।
