धर्म-अध्यात्म

इस दिन है जीवित्पुत्रिका व्रत, जाने शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Subhi
12 Sep 2022 5:44 AM GMT
इस दिन है जीवित्पुत्रिका व्रत, जाने शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
x
पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। इस व्रत को जुउतिया और जितिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां अपनी संतान की लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और उज्जलव भविष्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। इस व्रत को जुउतिया और जितिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां अपनी संतान की लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और उज्जलव भविष्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस साल जितिया व्रत की तिथि को लेकर काफी असमंज है। जानिए जीवित्पुत्रिका व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण का समय।

जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 की सही तिथि (Jivitputrika Vrat 2022 Date)

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जितिया व्रत रखा जाता है। इस बार अष्टमी तिथि 17 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 14 मिनट से लेकर अगले दिन 18 सितंबर को शाम 04 बजकर 32 मिनट तक है। ऐसे में उदयातिथि 18 सितंबर को है। इसी कारण इस दिन ही व्रत रखा जाएगी और 19 सितंबर को व्रत का पारण किया जाएगा।

जीवित्पुत्रिका व्रत का शुभ मुहूर्त (Jivitputrika Vrat 2022 Muhurat)

सिद्धि योग- 18 सितंबर सुबह 06 बकर 34 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 40 मिनट तक

जीवित्पुत्रिका व्रत का लाभ और अमृत मुहूर्त- सुबह 09 बजकर 11 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक

उत्तम मुहूर्त- दोपहर 01 बजकर 47 मिनट से दोपहर 03 बजकर 19 मिनट तक

जीवित्पुत्रिका व्रत पारण का शुभ समय (Jivitputrika Vrat 2022 Paran Time)

19 सितंबर को जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण किया जाएगा। पारण का सबसे अमृत मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 08 मिनट से 07 बजकर 40 मिनट तक है।

पारण का शुभ उत्तम मुहूर्त- सुबह 09 बजकर 11 मिनट से सुबह 10 बजकर 43 मिनट तक

जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व (Jivitputrika Vrat 2022 Importance)

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से संतान को दीर्घ आयु, आरोग्य और सुखी जीवन प्राप्त होता है। यह कठिन व्रतों में से एक है। इस व्रत में पानी और अन्न का त्याग किया जाता है, इसलिए यह निर्जला व्रत कहलाता है।

Next Story