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हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी मनाई जाती है। इस प्रकार, साल 2022 में 12 फरवरी को जया एकादशी है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा-उपासना भक्ति भाव से की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जया एकादशी के दिन भगवान की पूजा-उपासना करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और उन्नति का आगमन होता है। साथ ही मरणोपरांत वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। एकादशी के दिन मंदिर और मठों में विशेष आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर पूजा-पाठ कर भगवान आह्वान किया जाता है। आइए, जया एकादशी की पूजा की तिथि, मुहूर्त और विधि जानते हैं-
पूजा की तिथि
हिंदी पंचांग के अनुसार, जया एकादशी की तिथि 11 फरवरी को दोपहर में 01 बजकर 52 मिनट पर शुरू होकर 12 जनवरी को शाम में 4 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी। शास्त्र में उदया तिथि मान्य है। अत: 12 फरवरी को जया एकादशी है। साधक 12 फरवरी को प्रात: काल भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा उपासना कर सकते हैं। इस व्रत को करने से व्यक्ति को अश्वमेघ यज्ञ के समतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि
एकादशी व्रत की शुरुआत दशमी तिथि से होती है। इस दिन तामसिक भोजन का सेवन न करें। साथ ही लहसुन और प्याज का भी परित्याग करें। दशमी तिथि से ब्रह्मचर्य नियम का पालन करें। अगले दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान श्रीहरि विष्णु को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। अब गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें और आमचन कर अपने आप को पवित्र करें। इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा पीले पुष्प, पील फल, पीले मिष्ठान, धूप-दीप, कुमकुम, तांदुल, अगरबत्ती आदि से करें। अतं में आरती-अर्चना कर भगवान श्रीहरि विष्णु से परिवार के लिए कुशल मंगल की प्रार्थना करें। दिनभर व्रत रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। रात्रि में कीर्तन-भजन कर भगवान का गुणगान करें। द्वादशी के दिन पूजा करने करने के बाद व्रत तोड़ें।