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- इस दिन है गणेश...
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसी कारण इस दिन को गणेश उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विधिवत तरीके से भगवान गणेश को स्थापित किया जाता है। इसके साथ ही अगले 10 दिनों तक भक्तगण भगवान गणेश की विधिवत पूजा करते है। इसके बाद धूमधाम से विदा करते हुए जल में प्रवाहित कर देते हैं। जानिए गणेश चतुर्थी की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।
आमतौर पर गणेश चतुर्थी 10 दिनों का त्योहार है जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद के महीने में शुक्ल पक्ष चतुर्थी से शुरू होता है। यह पर्व आमतौर पर अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 19 अगस्त से 20 सितंबर के बीच पड़ता है। गणेश चतुर्थी उत्सव भाद्रपद शुक्ल पक्ष के चौदहवें दिन अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है।
गणेश चतुर्थी की तिथि और शुभ मुहूर्त
तिथि- 31 अगस्त 2022
भाद्र शुक्ल चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 30 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 34 मिनट से शुरू
भाद्र शुक्ल चतुर्थी तिथि समाप्त- 31 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 23 तक
शुक्ल योग - 31 अगस्त सुबह 12 बजकर 04 मिनट से रात 10 बजकर 47 मिनट तक
ब्रह्म योग - 31 अगस्त को रात 10 बजकर 47 मिनट से 1 सितंबर रात 09 बजकर 11 मिनट तक।
राहुकाल - दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से 2 बजे तक।
मध्याह्न गणेश पूजा समय- 31 अगस्त सुबह 11 बजकर 21 से दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक
चंद्र दर्शन से बचने का समय- 31 अगस्त सुबह 9 बजकर 29 मिनट से रात 9 बजकर 21 मिनट तकय़
करें इस गणेश मंत्र का जाप
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी के दिन ज्ञान, धन और सौभाग्य के देवता भगवान गणेश के जन्म के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि किसी भी नए काम को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अर्चना जरूर करना चाहिए। इससे न केवल आगे बढ़ने की शक्ति और ज्ञान देता है, बल्कि सफलता की राह में आने वाली बाधाओं को भी दूर करता है। इसी तरह गणेश चतुर्थी का पर्व को नई सुबह की शुरुआत का प्रतीक मानी जाती है।
गणेश चतुर्थी को पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन इसे अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे उत्तर भारत में गणेश चतुर्थी, महाराष्ट्र में गणेशोत्सव (मराठी: गणेशघर), आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में विनायक चविथी और तमिलनाडु में विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।
गणेश उत्सव महाराष्ट्र का सबसे बड़ा त्योहार है। इस त्योहार के लिए मिट्टी और रंग से भगवान गणेश की विभिन्न प्रकार की मूर्तियां बनाई जाती हैं। पूजा की शुरुआत पुजारी द्वारा मूर्ति में जीवन का आह्वान करने के लिए मंत्रों के जाप से होती है और भगवान को चंदन के लेप और कुमकुम से स्नान कराया जाता है। इसे 'प्राणप्रतिष्ठा' के नाम से जाना जाता है।