धर्म-अध्यात्म

इस दिन है बकरीद, जानिए महत्व और इतिहास

Subhi
3 July 2022 10:17 AM GMT
इस दिन है बकरीद, जानिए महत्व और इतिहास
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बकरीद इस्लाम धर्म को मनाने वालों का प्रमुख त्योहार है। इसे ईद-उल-अजहा भी कहा जाता है। ईद-उल-अजहा का अर्थ कुर्बानी वाली ईद से है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, ईल-उल-अजहा का पर्व 12वें महीने की 10 तारीख को मनाया जाता है।

बकरीद इस्लाम धर्म को मनाने वालों का प्रमुख त्योहार है। इसे ईद-उल-अजहा भी कहा जाता है। ईद-उल-अजहा का अर्थ कुर्बानी वाली ईद से है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, ईल-उल-अजहा का पर्व 12वें महीने की 10 तारीख को मनाया जाता है। ईद-उल-फित्र के बाद ये इस्लाम धर्म का दूसरा बड़ा त्योहार है। ये त्योहार रमजान महीने के खत्म होने के 70 दिन बाद बनाया जाता है। इस साल भारत में बकरीद 10 जुलाई 2022, दिन रविवार को मनाए जाने की संभावना है। बकरीद की तारीख चांद के दिखने पर निर्धारित होता है। इस त्योहार को कुर्बानी के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। मुस्लिम समाज के लोगों के लिए ईद का त्योहार बहुत महत्वपूर्ण होता है। बकरीद मनाने के पीछे हजरत इब्राहिम के जीवन से जुड़ी हुई एक बड़ी घटना है। ऐसे में आइए जानते हैं बकरीद क्यों मनाते हैं और इसका इतिहास क्या है....

बकरीद का इतिहास

इस्लाम धर्म के अनुसार, हजरत इब्राहिम खुदा के बंदे थे, उनका खुदा में पूर्ण विश्वास था। पैगंबर हजरत इब्राहिम से ही कुर्बानी देने की प्रथा शुरू हुई थी। कहा जाता है कि अल्लाह ने एक बार पैगंबर इब्राहिम से कहा था कि वह अपने प्यार और विश्वास को साबित करने के लिए सबसे प्यारी चीज का त्याग करें। इसके बाद पैगंबर इब्राहिम ने अपने इकलौते बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया।

वहीं जब पैगंबर इब्राहिम अपने बेटे को मारने वाले थे तभी अल्लाह ने अपने दूत को भेजकर बेटे को एक बकरे से बदल दिया था। तभी से बकरीद का त्योहार पैगंबर इब्राहिम के विश्वास को याद करने के लिए मनाया जाता है।

इस त्योहार को नर बकरे की कुर्बानी देकर मनाते हैं। इसे तीन भागों में बांटा जाता है, पहला भाग रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों को दिया जाता है। दूसरा हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों और तीसरा परिवार के लिए होता है।

ईद और बकरीद में अंतर

इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, साल में दो बार ईद मनाई जाती है, एक ईद-उल-जुहा और दूसरी ईद-उल-फितर। ईद-उल-फितर को मीठी ईद भी कहा जाता है। इसे रमजान को खत्म करते हुए मनाया जाता है। मीठी ईद के करीब 70 दिन बाद बकरा ईद यानी बकरीद मनाई जाती है।


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