- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- इस दिन है बकरीद, जानिए...
बकरीद या ईद उल-अज़हा का त्योहार मुस्लिम समुदाय के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, आखिरी माह ज़ु अल-हज्जा में बकरीद मनाई जाती है। इस त्योहार को मुस्लिम समुदाय के लोग त्याग और कुर्बानी के तौर पर मनाते हैं। इस दिन बकरे की कुर्बानी देने के साथ-साथ जमात और नमाज अदा कर सलामती की दुआ की जाती है। आइए जानते हैं बकरीद की तिथि और उससे जुड़ी जानकारी।
कब है बकरीद 2022?
इस्लाम का हिजरी संवत चांद पर आधारित है। इस कारण बकरीद का भी ऐलान चांद के हिसाब से ही किया जाता है। इस साल बकरीद का त्योहार 10 जुलाई 2022, रविवार को मनाया जा सकता है। बकरीद की तिथि चांद के हिसाब से 11 जुलाई को भी हो सकती है।
बकरीद का धार्मिक महत्व
इस्लाम की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हजरत इब्राहीम अल्लाह के पैगंबर थे। एक बार अल्लाह ने उनका इम्तिहान लेना चाहा और उनसे ख्वाब के ज़रिए अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी मांग ली। हजरत इब्राहीम अपने बेटे इस्माइल से बेहद मोहब्बत करते थे। वे उनके इकलौते बेटे भी थे और काफी समय बाद पैदा हुए थे। हजरत इब्राहीम ने फैसला लिया कि वे अल्लाह के लिए अपने इस्माइल की कुर्बानी देंगे, क्योंकि उससे ज्यादा उनको कोई प्यारा नहीं है।
हज़रत इब्राहीम जब बेटे की कुर्बानी देने जा रहे थे तो उन्हें रास्ते में एक शैतान मिला। उसने उन्हें ऐसा करने से रोका और कहां कि बेटे की कुर्बानी कौन देता है, इसकी जगह किसी जानवर को कुर्बान भी किया जा सकता है। हज़रत इब्राहीम को शैतान की बात सही लगी, लेकिन फिर उन्हें लगा कि यह अल्लाह से झूठ बोलना होगा और उसके हुक्म की नाफरमानी होगी। वे बेटे को लेकर आगे बढ़ गए।
बेटे की कुर्बानी देते वक्त उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली ताकि बेटे का मोह अल्लाह की राह में बाधा न बने। कुर्बानी के बाद जब उन्होंने जब अपनी आंख से पट्टी हटाई तो देखकर हैरान रह गए कि उनका बेटा सही सलामत खड़ा है और उसकी जगह एक बकरा कुर्बान हो गया है। उसके बाद से ही जानवरों की कुर्बानी देने का चलन शुरू हुआ।
कुर्बानी का गोश्त तीन हिस्सों में जाता है बांटा
बकरीद के दौरान जिस बकरे की कुर्बानी दी जाती है। उसे तीन भागों में बांटा जाता है। पहला हिस्सा परिवार के लिए होता है, दूसरा हिस्सा अपने किसी करीबी को दिया जाता है और आखिरी हिस्सा किसी गरीब या फिर जरूरतमंद को दिया जाता है। दीन और नेकी की राह में कुर्बानी देने के जज्बे को दिलों में जिंदा रखते हैं और हर साल इसे मनाया जाता है।