धर्म-अध्यात्म

शनि संबंधी पीड़ा होने पर गीता के यह अध्याय दिलाएगा समस्याओं से मुक्ति

Tara Tandi
27 Aug 2023 10:40 AM GMT
शनि संबंधी पीड़ा होने पर गीता के यह अध्याय दिलाएगा समस्याओं से मुक्ति
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गीता बड़ा ही विलक्षण ग्रंथ है। शनि संबंधी पीड़ा होने पर गीता के प्रथम अध्याय का पाठ करना चाहिए। लाभ होगा। यदि शिक्षा में अड़चन आ रही हो, तो द्वितीय अध्याय पढ़ना चाहिए। विघ्न दूर होंगे। जब राजनैतिक हानि हो रही हो, तो गीता के तृतीय अध्याय के पठन से लाभ होता है। ऐसा अध्यात्म के सूत्र कहते हैं।
बात पते की
जन्म कुंडली के पराक्रम भाव यानी तीसरे घर में अगर बृहस्पति आसीन हों, तो व्यक्ति सुखी और संपन्न जीवन व्यतीत करता है। ये कई विषयों का ज्ञाता होता है। ये अपने कर्म में प्रवीण होते हैं। इनमें कोई न कोई हुनर या कौशल ज़रूर छिपा होता है। ये परिवार के मेरुदंड होते हैं। बृहस्पति आकाश तत्व का कारक है। अतः इनकी बौद्धिक क्षमता अद्‌भुत और संकल्प शक्ति कमाल की होती है। बेहद ईमानदार होते हैं। सत्य मार्ग पर ही चलना पसंद करते हैं। मित्रों और प्रियजन का पूर्ण सुख मिलता है। तेजस्वी और पराक्रमी होते हैं। प्रभु में गहरी आस्था होती है। सरकार से आय का स्रोत स्थापित होने की संभावना होती है। भाइयों का सुख मिलता है। भाई उच्च पद को सुशोभित करता/ करते हैं। इनका विवेक इन्हें उत्तम मार्ग पर ले जाता है। तृतीय बृहस्पति अदम्य साहस और शक्ति प्रदाता है। पर्यटन और तीर्थ यात्राओं में रुचि होती है। अच्छी पुस्तकें और ग्रंथों को भी आत्मसात करने का अवसर मिलता है। इनकी लेखनी धारदार होती है। धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में संलग्न होते हैं। जिस भी काम का आरंभ करते हैं, उसे हर हाल में पूरा करके ही दम लेते हैं। वैवाहिक जीवन आनंद से सराबोर होता है। ये बड़ी टीम का नेतृत्व करते हैं।
प्रश्न: चंडिका से क्या आशय है? और मंगल चंडिका मंत्र क्या है? किसी ने विवाह में मंगल दोष के कारण आ रहे व्यवधान के निराकरण के रूप में यह मंत्र जाप सुझाया है। -रीना कौशिक
उत्तर: चंडिका में अंबा की पूर्ण शक्ति समाहित है। ये आद्या महाशक्ति की विशिष्ट ऊर्जा हैं। जब जगदंबा उपासना में ईश्वर की ओर उन्मुख होती हैं, चंडिका उनके समस्त आदेशों व निर्देशों का अनुकरण करती है। वहीं मंगल मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है। ग्रहों में इसे सेनापति कहते हैं, जो दशम स्थान का कारक है। इसके शुभ होने पर उच्च राजयोग बनता है और अशुभ होने पर दांपत्य जीवन के साथ करियर का बंटाधार हो जाता है। हां, यदि मांगलिक होने से विवाह बाधा हो, तो मंगल चंडिका स्तोत्र का पाठ लाभ प्रदान करता है, ऐसा प्राचीन ग्रंथ कहते हैं। मंत्र का जाप गुरु के मार्गदर्शन के बिना नहीं करना चाहिए। सिर्फ संदर्भ के लिए, मूल मंत्र इस प्रकार है- ‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्व पुज्ये देवी मंगल चण्डिके हूँ हूँ फट् स्वाहा॥’
प्रश्न: कुंडली में अगर शनि वक्री हो, तो जीवन कैसा होता है? -राधिका अवस्थी
सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि यदि जन्म कुंडली में शनि वक्री हो, तो ऐसे लोग छद्म सिद्धांतवादी व अंदर से कुछ और बाहर से कुछ और होते हैं। ऐसे व्यक्ति स्वभाव से स्वार्थी और शक करने वाले होते हैं। वक्री शनि दिखावा करने की प्रवृति का कारक भी है।
प्रश्न: प्रेम विवाह करना चाहता हूं। भाई और मित्रों से संबंधों में जहर घुल गया है। ऐसा क्यों हुआ होगा? मेरा जन्म-विवरण नहीं है। -सत्यम शर्मा
उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि अगर भाइयों से मनमुटाव रहता हो, दोस्त दुश्मनों की तरह व्यवहार करते हो, तो यह स्थिति कुंडली में मंगल की ख़राब स्थिति को दर्शाती हैं। यह योग शरीर में आलस्य देता है और हथियार रखने की इच्छा भी पैदा करता है। ख़राब मंगल के कारण दिन में कामुक विचार परेशान करते हैं, अपराधी और बुरे व्यक्ति नायक की तरह लगते हैं, बात-बात में ख़ून खौल उठता है और बहुत सारे यौन संबंधों से जुड़ने का मन करता है। ऐसे लोगों को प्रेम विवाह से पहले अपने फ़ैसले पर गहन विचार करना चाहिए।
प्रश्न: पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे लोग कैसे होते हैं? -संध्या शरण
उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि पुनर्वसु नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग किस्मत के धनी होते हैं। स्वभाव से ये लोग शांत होते हैं। इन्हें समाज का स्नेह और आदर प्राप्त होता है। इनका जीवन सुख समृद्धि से परिपूर्ण होता है। सामान्यजन में ये प्रशंसनीय होते हैं। भोग विलास में इनकी स्वाभाविक रुचि होती है। इन्हें उत्तम मित्रों का आनंद मिलता है। संतान का उत्तम सुख मिलता है।
अगर, आप भी सद्गुरु स्वामी आनंदजी से अपने सवालों के जवाब जानना चाहते हैं या किसी समस्या का समाधान चाहते हैं तो अपनी जन्मतिथ‍ि, जन्म समय और जन्म स्थान के साथ अपना सवाल [email protected] पर मेल कर सकते हैं। सद्‌गुरुश्री (डा. स्वामी आनंदजी)
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