धर्म-अध्यात्म

विश्वकर्मा जयंती पर बन रहे ये शुभ संयोग, जानें मुहूर्त और पूजा विधि

Subhi
17 Sep 2022 2:05 AM GMT
विश्वकर्मा जयंती पर बन रहे ये शुभ संयोग, जानें मुहूर्त और पूजा विधि
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विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पकार माना जाता है. उनका जन्म अश्विन माह की कन्या संक्राति (Kanya Sankranti 2022) को हुआ था. भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला इंजीनियर माना जाता है

विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पकार माना जाता है. उनका जन्म अश्विन माह की कन्या संक्राति (Kanya Sankranti 2022) को हुआ था. भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला इंजीनियर माना जाता है. विश्वकर्मा जयंती पर लोग ऑफिस, फैक्ट्री और कारखानों में पूजा करते हैं. इस दिन मशीनों की भी पूजा की जाती है. इस साल विश्वकर्मा जयंती पर 5 अद्भुत संयोग बन रहे हैं. आइए बताते हैं कि विश्वकर्मा जयंती का मुहूर्त, योग और पूजा विधि.

विश्वकर्मा पूजा 2022 मुहूर्त

भगवान विश्वकर्मा जयंती पर इस साल तीन शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से बिजनेस में तरक्की होती है और आर्थिक पक्ष मजबूत होता है.

सुबह का मुहूर्त - 17 सितंबर को 07.39 AM - 09.11 AM

दोपहर का मुहूर्त - 17 सितंबर को 01.48 PM - 03.20 PM

तीसरा मुहूर्त - 17 सितंबर को 03.20 PM - 04.52 PM

विश्वकर्मा जयंती 2022 शुभ योग

इस साल विश्वकर्मा जयंती पर बेहद शुभ संयोग बन रहा है. आज सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करेंगे. आज विश्वकर्मा जयंती के साथ कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti 2022) भी मनाई जा रही है. साथ ही महालक्ष्मी व्रत का समापन (Mahalakshmi vrat 2022) भी होगा. आज ये 5 शुभ संयोग बन रहे हैं.

अमृत सिद्धि योग: 17 सितंबर 2022 को सुबह 06.13 - दोपहर 12.21

द्विपुष्कर योग: 17 सितंबर 2022, दोपहर 12.21 - दोपहर 02.14

रवि योग: 17 सितंबर 2022, सुबह 06.13 - दोपहर 12.21

सर्वार्थ सिद्धि योग: 17 सितंबर 2022, सुबह 06.13 - दोपहर 12.21

सिद्धि योग: 17 सितंबर 2022, सुबह 05.51 - 18 सितंबर 2022, सुबह 06.34

भगवान विश्वकर्मा की पूजा विधि

भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद घर में मंदिर में भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाएं और फूल माला चढ़ाएं. अब भगवान तिलक लगाने के बाद पूजन सामग्री अर्पित करें. इसके बाद भगवान विश्वकर्मा को फिर भोग लगाएं और औजारों-मशीनों की पूजा करें. भगवान विश्वकर्मा की कथा का पाठ करने के बाद अंत में आरती करें.


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