धर्म-अध्यात्म

श‍िवरात्र‍ि के द‍िन शिव पूजा में वर्जित चीजें, ना करें शिवलिंग पर अर्पित

Deepa Sahu
4 March 2021 2:18 PM GMT
श‍िवरात्र‍ि के द‍िन शिव पूजा में वर्जित चीजें, ना करें शिवलिंग पर अर्पित
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क : यूं तो भोलेनाथ की पूजा सच्‍चे मन की जाए तो वह फल‍ित होती है। लेक‍िन सोमवार और श‍िवरात्रि के द‍िन पूजा का व‍िशेष फल माना गया है। अगर आप भी श‍िवरात्रि के द‍िन व्रत और पूजा-पाठ करके श‍िवजी को प्रसन्‍न करने की तैयारी कर रहे हैं तो कुछ बातों को ध्‍यान में रखना बेहद जरूरी है। क्‍योंक‍ि श‍िवजी की पूजा में कुछ वस्‍तुओं का प्रयोग वर्जित है। आइए जान लेते हैं ये कौन सी वस्‍तुएं हैं?

इसे अर्पित करने से पूजा हो जाती है व्‍यर्थ
भगवान शंकर भूले से भी कभी हल्‍दी नहीं चढ़ानी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी स्त्रियों से संबंधित है। यही वजह है क‍ि भोलेनाथ को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। कहा जाता है क‍ि अगर आप शिवजी की पूजा में हल्दी का प्रयोग करते है तो इससे आपकी पूजा बेकार हो जाती है और आपकी पूजा का फल नहीं मिल पाता है। इसलिए भूलकर भी शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए।
इसे चढ़ाने की है सख्‍त मनाही
भोलेनाथ को कभी भी नार‍ियल पानी नहीं चढ़ाना चाहिए। हालांक‍ि यहां यह स्‍पष्‍ट कर दें क‍ि शिवजी की पूजा तो नारियल से होती है लेकिन नारियल वर्जित है। शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली सारी चीज़ें निर्मल होनी चाह‍िए। यानी क‍ि जिसका सेवन ना किया जाए। नारियल पानी देवताओं को चढ़ाने के बाद ग्रहण किया जाता है, इसीलिए शिवलिंग पर नारियल पानी चढ़ाना वर्जित है। लेकिन श‍िवजी की प्रत‍िमा पर नारियल चढ़ाया जा सकता है।
श‍िव माने जाते हैं संहारक, इन्‍हें न चढ़ाएं
भोलेशंकर की पूजा में कभी भी लाल रंग के फूल, केतकी और केवड़े के फूल नहीं चढ़ाए जाते। इसके अलावा कुमकुम चढ़ाना भी वर्जित है। मान्‍यता है क‍ि इन वस्‍तुओं को चढ़ाने से पूजा का फल नहीं म‍िलता है। ध्‍यान रखें क‍ि भोले भंडारी को सफेद रंग के फूल चढ़ाने चाहिए। इससे वे जल्दी प्रसन्न होते हैं। कुमकुम को लेकर कहा जाता है क‍ि हिंदू महिलाएं इसे अपने पति की लंबी उम्र के लिए लगाती हैं। क्‍योंक‍ि भगवान शिव संहारक के रूप में जाने जाते हैं इसलिए शिवलिंग पर कुमकुम नहीं चढ़ाया जाता है।
श‍िव पूजा में यह भी है वर्जित
भोलेशंकर को कभी भी तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जालंधर नाम के असुर को अपनी पत्नी की पवित्रता और विष्णु जी के कवच की वजह से अमर होने का वरदान मिला हुआ था। अमर होने की वजह से वह पूरी दुनिया में आतंक मचा रहा था। ऐसे में उसके वध के लिए भगवान विष्णु और भगवान शिव ने उसे मारने की योजना बनाई। जब वृंदा को अपने पति जालंधर की मृत्यु का पता चला तो वह बहुत दुखी और क्रोध‍ित हो गई। इसी क्रोध में उसने भगवान शिव को शाप दिया कि उनके पूजन में तुलसी की पत्‍त‍ियां हमेशा वर्जित रहेंगी।


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