धर्म-अध्यात्म

जुलाई में शनि देव के गोचर करते ही इन राशियों को मिलेगी साढ़ेसाती से मुक्ति

Tara Tandi
27 Jun 2022 9:58 AM GMT
जुलाई में शनि देव के गोचर करते ही इन राशियों को मिलेगी साढ़ेसाती से मुक्ति
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ज्योतिष ग्रंथ के मुताबिक जब भी कोई ग्रह गोचर करता है। तो उसका सीधा प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्योतिष ग्रंथ के मुताबिक जब भी कोई ग्रह गोचर करता है। तो उसका सीधा प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। आपको बता दें कि कर्मफल दाता शनि देव ने 29 अप्रैल को अपनी स्वराशि कुंभ में प्रवेश कर लिया है। शनि देव कर्मों के अनुसार व्यक्ति को फल प्रदान करते हैं। इसलिए वैदिक ज्योतिष के मुताबिक जब भी शनि देव गोचर करते हैं तो किसी राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव शुरू होता है तो किसी को साढ़ेसाती से मुक्ति मिलती है। लेकिन जब भी शनि देव 12 जुलाई को वक्री होने जा रहे हैं, जिससे इन राशियों को साढ़ेसाती के मुक्ति मिलेगी। आइए जानते हैं…

शनि देव ने किया था अप्रैल में गोचर:
वैदिक ज्योतिष मुताबिक 29 अप्रैल को शनि ग्रह ने अपनी स्वराशि कुंभ में गोचर कर लिया है। जिसके बाद मीन के जातकों पर साढ़ेसाती का प्रथम चरण शुरू हो गया है। वहीं धनु राशि के लोगोंको को साढ़ेसाती से मुक्ति मिल गई है। वहीं अगर मकर राशि के लोगों की बात करें तो मकर राशि के जातकों पर साढ़ेसाती का आखिरी चरण शुरू हो गया, जो सबसे कष्टकारी और परेशानियों से भरा माना जाता है। इस चक्र में शनि पैरों पर रहते हैं और घुटनों और पैरों सें संबंधित कष्ट देते हैं। साथ ही कामों में रुकावट आती है। वहीं कुंभ वालों पर दूसरा चरण शुरू हो गया है। इसलिए इन राशि वालों को थोड़ा शारीरिक कष्ट और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। काम बनते- बनते रुक सकते हैं।
जुलाई में इन राशियों को मिलेगी साढ़ेसाती से मुक्ति:
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव 12 जुलाई को वक्री अवस्था में मकर राशि में प्रवेश करेंगे। जिसके बाद मीन राशि के लोगों को साढ़ेसाती से कुछ दिनों के लिए मुक्ति मिल जाएगी। जिससे मीन राशि के जातकों को धनलाभ हो सकता है। साथ ही उन्नति के नए रास्ते खुल सकते हैं। वहीं धनु राशि पर फिर से साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी। जिससे धनु राशि के जातकों को काम में रुकावट देखने को मिल सकती है। व्यापार में कुछ धन की हानि हो सकती है।
ज्योतिष के अनुसार शनि ग्रह की साढ़ेसाती साढ़े 7 के लिए होती है। वहीं शनि की ढैय्या की अवधि ढाई साल की होती है। आपको बता दें कि शनि देव अगर कुंडली में शुभ स्थिति में विराजमान हैं तो शनि की इन दशाओं में मनुष्य को कम कष्ट भोगने पड़ने लगते हैं। वहीं अगर शनि कुंडली में नकारात्मक विराजमान है तो मनुष्य को काफी कष्टों का सामना करना पड़ता है। कामों में रुकावट आती है। मेहनत का पूरा फल प्राप्त नहीं होता है।


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