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सनातन धर्म में वैसे तो हर दिन को महत्वपूर्ण बताया गया हैं लेकिन चातुर्मास बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से आरंभ हो जाता हैं। इस एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता हैं। इसी पावन दिन पर भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं जिसके बाद सभी शुभ और मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता हैं।
माना जाता हैं कि चातुर्मास के दिनों में शादी विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, जनेउ आदि कोई भी नया काम नहीं करना चाहिए वरना इसका फल नहीं मिलता हैं। आपको बता दें कि चातुर्मास में श्रावन, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक का महीना आता हैं। इस दौरान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं जिसके बाद देवउठनी एकादशी को जागते हैं। इस बार देवशयनी एकादशी 29 जून को पड़ रही हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख दवारा बता रहे हैं कि चातुर्मास के दिनों में किन कार्यों को नहंी करना चाहिए, तो आइए जानते हैं।
चातुर्मास में इन कामों की है मनाही-
चातुर्मास के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी माना जाता हैं आपको बता दें कि इन महीनों में शादी, विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, उपनयन संस्कार, नया कारोबार आदि शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। अगर कोई इन कार्यों को करता हैं तो उसे इसका अशुभ परिणाम मिलता हैं वही चातुर्मास के दिनों में पितृपक्ष पड़ता हैं ऐसे में आप इस दौरान श्राद्ध कर्म और पिंडदान कर सकते हैं इसे शुभ माना जाता हैं।
चातुर्मास के दिनों में तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। इस दौरान लहसुन, प्याज, मांस मदिरा का सेवन करने से भी बचना चाहिए। इन महीनों में नया काम या नया कारोबार भी नहीं शुरु करना चाहिए। माना जाता है इन दिनों में किया गया नया काम शुभ फल नहीं प्रदान करता हैं। इस दौरान कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे किसी को दुख पहुंचें। चातुर्मास के दिनों में सूर्य पूजा उत्तम मानी जाती हैं और इस दौरान ब्रहमचर्य का पालन भी जरूरी होता हैं।
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