धर्म-अध्यात्म

आचार्य चाणक्य के ये श्लोक आपको रखेंगे हमेशा दूसरों से 2 कदम आगे

Subhi
7 March 2022 3:19 AM GMT
आचार्य चाणक्य के ये श्लोक आपको रखेंगे हमेशा दूसरों से 2 कदम आगे
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आचार्य चाणक्य के द्वारा लिखे गए नीति शास्त्र में जीवन से संबंधित बहुत ही महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं। आचार्य चाणक्य ने नीतिशास्त्र में निजी जीवन, नौकरी, व्यापार, रिश्तें, मित्रता, शत्रु आदि जीवन के विभिन्न पहलुओ पर अपने विचार साझा किए हैं।

आचार्य चाणक्य के द्वारा लिखे गए नीति शास्त्र में जीवन से संबंधित बहुत ही महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं। आचार्य चाणक्य ने नीतिशास्त्र में निजी जीवन, नौकरी, व्यापार, रिश्तें, मित्रता, शत्रु आदि जीवन के विभिन्न पहलुओ पर अपने विचार साझा किए हैं। आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन में विषम से विषम परिस्थितियों का सामना किया था परंतु कभी हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। अगर कोई व्यक्ति की आचार्य चाणक्य की बातों का अनुसरण अपने जीवन में करता है, तो वह जीवन में कभी गलती नहीं करेगा और सफल मुकाम पर पहुंच सकता है। महान अर्थशास्त्री और कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में मानव कल्याण से जुड़े लगभग सभी विषयों का जिक्र किया है। चाणक्य जी की नीतियों के माध्यम से हम यह पता लगा सकते हैं कि मनुष्य को किस परिस्थिति में कैसा व्यवहार करना चाहिए। आचार्य चाणक्य द्वारा रचित नीति शास्त्र में कुछ ऐसे श्लोकों का उल्लेख मिलता है जिसे यदि सबने समझ लिया तो इसका अर्थ है कि उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। आइए जानते हैं क्या हैं वो श्लोक-

जिस जगह या देश में आपको सम्मान, सत्कार नहीं मिलता हो उस स्थान पर नहीं रहना चाहिए।

यस्मिन्देशे न सम्मानो नवृत्तिर्न च बान्धवाः।

न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत्॥

उपरोक्त श्लोक के अनुसार आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस जगह या देश में आपको सम्मान, सत्कार नहीं मिलता हो या जहां किसी आजीविका का कोई साधन ना हो। जहां पर ज्ञान आर्जित करने का कोई साधन ना हो, ऐसे देश या स्थान पर रहने का कोई फायदा नहीं होता।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को सरल और सीधे स्वभाव का नहीं होना चाहिए।

नात्यन्तं सरलैर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम्।

छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः॥

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को सरल और सीधे स्वभाव का नहीं होना चाहिए। उनके अनुसार जो मनुष्य अत्यंत सीधे तथा सरल स्वभाव वाला होता है, चालाक और चतुर लोग उनके सीधे स्वभाव का गलत फायदा उठाते हैं। जिस प्रकार जंगल के सीधे वृक्षों को काटने में आसानी होती है तथा सीधे वृक्ष ही काम में ज्यादा उपयोगी होती है। इसलिए विनम्र बनिए पर सीधे नहीं।

आचार्य चाणक्य के अनुसार मनुष्य को अपनी ताकत और अपनी कमजोरी के बारे में पता होना चाहिए।

कः कालः कानि मित्राणि को देशः कौ व्ययागमौ।

कश्चाहं का च मे शक्तिरिति चिन्त्यं मुहुर्मुहुः॥

आचार्य चाणक्य के अनुसार मनुष्य को अपनी ताकत और अपनी कमजोरी के बारे में पता होना चाहिए। जैसे किसी भी कार्य को करने के लिए कौन सा समय सही है। कौन आपका मित्र है और कौन शत्रु। इन सबकी जानकारी होने से भविष्य में कहीं भी मात नहीं खाएंगे।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी भी अच्छे ज्ञान तथा अच्छी वस्तु को ग्रहण करना चाहिए।

विषादप्यमृतं ग्राह्यममेध्यादपि काञ्चनम्।

नीचादप्युत्तमां विद्यांस्त्रीरत्नं दुष्कुलादपि।।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी भी अच्छे ज्ञान तथा अच्छी वस्तु को ग्रहण करना चाहिए। चाहे वह कहीं पर भी हो या किसी के भी द्वारा मिल रही हो। यदि कोई निचले कुल मे जन्म लेने वाला ज्ञानी हो और आपको सर्वोत्तम ज्ञान देता है तो उसे अपनाएं। ज्ञान प्राप्ति के लिए किसी का कुल या जाति नहीं देखनी चाहिए।

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