धर्म-अध्यात्म

भरपूर ऑक्सीजन देकर पर्यावरण को शुद्ध रखते हैं ये पेड़

Tara Tandi
5 Jun 2022 6:50 AM GMT
These trees keep the environment pure by giving plenty of oxygen
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हर वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। पर्यावरण दिवस पर पेड़-पौधों के संरक्षण और उसके महत्व पर चर्चा की जाती है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। पर्यावरण दिवस पर पेड़-पौधों के संरक्षण और उसके महत्व पर चर्चा की जाती है। जब तक धरती पर पेड़ रहेंगे तब तक ही पृथ्वी का वजूद है। सनातन हिंदू धर्म में प्रकृति के संरक्षण का विशेष महत्व दिया जाता है। हिंदू संस्कृति में प्रकृति के अलग-अलग स्वरूपों को देवी-देवताओं के रूप में पूजते हुए प्रकृति के करीब रहकर जीवन जीने का संदेश दिया जाता है। हिंदू धर्म में पृथ्वी को धरती माता को देवी का रूप माना जाता है। हिंदू दर्शन में मान्यता है कि मनुष्य का जीवन पांच तत्वों से मिलकर बना है। ये पांच तत्व हैं पृथ्वी, जल,अग्नि, आकाश और वायु हैं। हिंदू धर्म और संस्कृति में हमेशा से ही पर्यावरण को संरक्षित करने के उद्देश्य ही पहाड़,नदी,जंगल,तालाब,वृक्ष और पशु-पक्षी आदि सभी को दैवीय कथाओं व पुराणों से जोड़कर देखा जाता है। तभी तो हिंदू धर्म में जितने भी व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं उसके पीछे पर्यावरण सरंक्षण का संदेश साफ तौर पर दिखाई देता है। मकर संक्रान्ति,वसंत पंचमी,महाशिवरात्रि,होली,नवरात्रि,गुड़ी पड़वा,वट पूर्णिमा,ओणम्,दीपावली,कार्तिक पूर्णिमा,छठ पूजा,शरद पूर्णिमा,अन्नकूट,देव प्रबोधिनी एकादशी,हरियाली तीज, गंगा दशहरा आदि सब पर्वों में प्रकृति संरक्षण का पुण्य स्मरण है। इसके अलावा सूर्य, चंद्रमा, वायु,अग्नि और मौसम से जुड़े तमाम व्रत-त्योहार और परंपराएं आदिकाल से अनवरत चली आ रही हैं।

पेड़-पौधे जीवंत शक्ति से भरपूर प्रकृति के ऐसे अनुपम उपहार हैं जो सभी को प्राणवायु ऑक्सीजन तो देते ही हैं,पर्यावरण को भी शुद्ध और संतुलित रखते हैं। इतना ही नहीं वास्तुदोष निवारण में,बीमारियों को ठीक करने में एवं उत्तम स्वास्थ्य संरक्षण में वृक्ष-वनस्पतियों का योगदान सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता हैं। स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के लिए वृक्षारोपण हमारी नैतिक जिम्मेदारी है, इन्हें लगाना हमारे लिए हर हाल में लाभकारी हैं। पेड़ों द्वारा बनाने वाली ऑक्सीजन के कारण ही हम ज़िंदा रहते हैं। पर्यावरण का संरक्षण ही हमारे जीवन का सुरक्षा कवच है।पर्यावरण दिवस के मौके पर हमें पर्यावरण की सुरक्षा और अधिक से अधिक वृक्ष लगाने का संकल्प लेना चाहिए। आइए जानते हैं उन पेड़ों के बारे में जो ज्यादा ऑक्सीजन छोड़ते हैं।
पीपल
पीपल के पेड़ के साथ कई धार्मिक भावनाएं जुड़ी होती है। मान्यता है कि इसकी जड़ में श्री विष्णु,तने में भगवान शंकर,तथा अग्रभाग में साक्षात ब्रह्माजी निवास करते हैं। पीपल के पेड़ का विस्तार,फैलाव और ऊंचाई बहुत अधिक होती है। यह पेड़ अन्य पेड़ों के मुकाबले ज्यादा ऑक्सीजन देता है,यानि करीब 22 घंटे से भी ज्यादा समय तक ऑक्सीजन देता है।दिन-रात ऑक्सीजन देने अर्थात जीवन दायिनी वायु देने के कारण इस वृक्ष को भगवान विष्णु का प्रतीक माना गया है। बौद्ध धर्म में इसे बोधी वृक्ष के नाम से जानते हैं,मान्यता है कि इसी पेड़ के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने के कारण पर्यावरणविद पीपल का पेड़ लगाने की सलाह देते हैं।
बरगद
भारत का राष्ट्रीय वृक्ष होने साथ ही इस वृक्ष को हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र भी माना जाता है। धार्मिक आस्थाओं के साथ-साथ यह वृक्ष पर्यावरण के संरक्षण और उसको साफ सुथरा बनाए रखने में भी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।बरगद के पेड़ और इसकी पत्तियों में कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने की सबसे ज्यादा क्षमता होती है। पीपल के सामान ही यह वृक्ष भी बहुत अधिक मात्रा में ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं। इसलिए बरगद का वृक्ष भी पर्यावरण के लिए किसी वरदान से कम नहीं।
नीम
नीम के पेड़ में संक्रमण का खात्मा करने के गुण मौजूद हैं। एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर नीम का वृक्ष दूषित वायुमंडल को शुद्ध कर स्वच्छ पर्यावरण प्रदान करता है।इसकी पत्तियों की बनाबट ऐसी होती है कि नीम का एक स्वस्थ बड़ा पेड़ बहुत अधिक मात्रा में ऑक्सीजन उत्पादित कर सकता है। इसलिए हमेशा ज्यादा से ज्यादा नीम के पेड़ लगाने की सलाह दी जाती है, इससे आसपास की हवा हमेशा शुद्ध रहती है बीमारियों को दूर रखने वाले नीम के पेड़ को एवरग्रीन ट्री भी कहा जाता है और पर्यावरणविदों की मानें तो यह पेड़ एक नैचुरल एयर प्यूरीफायर है जो प्रदूषित गैसों जैसे कार्बन डाई ऑक्साइड,सल्फर और नाइट्रोजन को हवा से सोख कर पर्यावरण में ऑक्सीजन को छोड़ता है।
अशोक
शुभ एवं मंगलकारी वृक्ष के रूप में अशोक के वृक्ष का वर्णनं ब्रह्मवैवर्त पुराण सहित अनेकों धर्मशास्त्रों में किया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस वृक्ष को शोक हरने वाला माना गया है। पर्यावरण की दृष्टि से देखें तो अशोक का हरा-भरा पेड़ न सिर्फ ऑक्सीजन उत्पादित करता है बल्कि इसके फूल पर्यावरण को सुंगधित रखते हैं और उसकी खूबसूरती को बढ़ाते हैं।अशोक का पेड़ लगाने से न केवल वातावरण शुद्ध रहता है बल्कि उसकी सुंदरता से सकारात्मक माहौल रहता है। घर में अशोक का पेड़ वातावरण को शुद्ध रखता है और इस पेड़ की मुख्य विशेषता यह है कि यह पेड़ जहरीली गैसों के अलावा हवा के दूसरे दूषित कणों को भी सोख लेता है।
बांस
पर्यावरण के लिहाज से अनुकूल बांस सबसे तेज बढ़ने वाला पेड़ या घास है। यह पर्यावरण संरक्षण में भी काफी अहम भूमिका निभाता है। बांस ऐसा पौधा है जिसकी पत्तियां ही नहीं बल्कि तना भी आक्सीजन देता है। बांस का पेड़ हवा को फ्रेश करने के काम में भी आता है। माना जाता है कि बांस का पेड़ अन्य पेड़ों के मुकाबले 30 फीसदी अधिक ऑक्सीजन छोड़ता है।
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