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![These trees keep the environment pure by giving plenty of oxygen These trees keep the environment pure by giving plenty of oxygen](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/06/05/1672015--.gif)
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। पर्यावरण दिवस पर पेड़-पौधों के संरक्षण और उसके महत्व पर चर्चा की जाती है। जब तक धरती पर पेड़ रहेंगे तब तक ही पृथ्वी का वजूद है। सनातन हिंदू धर्म में प्रकृति के संरक्षण का विशेष महत्व दिया जाता है। हिंदू संस्कृति में प्रकृति के अलग-अलग स्वरूपों को देवी-देवताओं के रूप में पूजते हुए प्रकृति के करीब रहकर जीवन जीने का संदेश दिया जाता है। हिंदू धर्म में पृथ्वी को धरती माता को देवी का रूप माना जाता है। हिंदू दर्शन में मान्यता है कि मनुष्य का जीवन पांच तत्वों से मिलकर बना है। ये पांच तत्व हैं पृथ्वी, जल,अग्नि, आकाश और वायु हैं। हिंदू धर्म और संस्कृति में हमेशा से ही पर्यावरण को संरक्षित करने के उद्देश्य ही पहाड़,नदी,जंगल,तालाब,वृक्ष और पशु-पक्षी आदि सभी को दैवीय कथाओं व पुराणों से जोड़कर देखा जाता है। तभी तो हिंदू धर्म में जितने भी व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं उसके पीछे पर्यावरण सरंक्षण का संदेश साफ तौर पर दिखाई देता है। मकर संक्रान्ति,वसंत पंचमी,महाशिवरात्रि,होली,नवरात्रि,गुड़ी पड़वा,वट पूर्णिमा,ओणम्,दीपावली,कार्तिक पूर्णिमा,छठ पूजा,शरद पूर्णिमा,अन्नकूट,देव प्रबोधिनी एकादशी,हरियाली तीज, गंगा दशहरा आदि सब पर्वों में प्रकृति संरक्षण का पुण्य स्मरण है। इसके अलावा सूर्य, चंद्रमा, वायु,अग्नि और मौसम से जुड़े तमाम व्रत-त्योहार और परंपराएं आदिकाल से अनवरत चली आ रही हैं।