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आचार्य चाणक्य की नीतियों को सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे उपयोगी साधन माना गया है। उनके द्वारा रचित नीतियों का पालन करके लाखों युवा सफलता के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। बता दें कि आचार्य चाणक्य की गणना विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है। उन्हें न केवल राजनीति, कूटनीति और अर्थनीति का विस्तृत ज्ञान था, बल्कि उन्हें जीवन के अन्य मूल्यवान विषयों का भी विस्तृत ज्ञान था। आज चाणक्य नीति के इस भाग में हम बात करेंगे कि किन तीन गुणों से व्यक्ति श्रेष्ठ बनता है।
यह तीन गुण हैं श्रेष्ठ व्यक्ति के आभूषण
कोकिलानां स्वरो रूपं नारी रूपं पतिव्रतम्। विद्या रूपं कुरूपाणां क्षमा रूपं तपस्विनाम् ।।
वाणी: एक श्रेष्ठ और शिक्षित व्यक्ति की आवाज कोयल के समान कोमल और मधुर होती है। उसका व्यवहार भी इसी प्रकार का रहता है और यही व्यक्ति का अनमोल आभूषण है। इससे न केवल समाज में सम्मान मिलता है, बल्कि कुल का भी नाम ऊंचा होता है।
ज्ञान: आचार्य चाणक्य ने बताया है कि कुरूप व्यक्ति की सुन्दरता उसका ज्ञान होती है। एक ज्ञानी व्यक्ति समाज में हर पद पर सम्मान प्राप्त करता है और वह अपने ज्ञान के दम पर सफलता हासिल करता है। इसलिए मनुष्य को शारीरिक सुन्दरता से अधिक ज्ञान की सुंदरता को बढ़ाने पर कार्य करना चाहिए। यह व्यक्ति का अमूल्य आभूषण है।
क्षमा भाव: चाणक्य नीति में बताया गया है कि जिस व्यक्ति के मन में क्षमा भाव होता है, वह तपस्वी के समान तेजवान होता है और यही उनके लिए बेशकीमती आभूषण है। इसलिए क्षमा और करुण भावना सभी के भीतर होनी चाहिए। इस भावना से न तो क्षत्रु बनते हैं और न ही मित्र व परिवार में विवाद उत्पन्न होता है।
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Apurva Srivastav
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