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धर्म-अध्यात्म
सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को समर्पित है ये चीजें
Neha Dani
11 July 2023 11:27 AM GMT
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धर्म अध्यात्म: सावन मास के जिस तरह से सोमवार व्रत का महत्व है, ठीक उसी तरह से सावन शिवरात्रि का भी विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। सावन मास में उस दिन सावन शिवरात्रि मनाई जाती है। मान्यता है कि सावन मास में शिवरात्रि व्रत करने से जातक को सुख-समृद्धि मिलने का साथ भगवान शिव व माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। लेकिन इस साल सावन शिवरात्रि को लेकर लोगों के बीच असमंजस की स्थिति है। आप भी जान लें इस साल कब है भगवान शंकर के ससुर को नंदी ने क्यों दिया था श्राप? आप भी पढ़ें शिव महापुराण में वर्णित ये कथा हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 15 जुलाई को रात 08 बजकर 32 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 16 जुलाई को रात 10 बजकर 08 मिनट पर होगा। शिवरात्रि व्रत पर भगवान शिव की पूजा निशिताकाल में की जाती है। इसलिए यह व्रत 15 जुलाई 2023, शनिवार को ही रखा जाएगा। सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा का समय 16 जुलाई को रात 12 बजकर 07 मिनट से रात 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।
भगवान शिव की पूजा चार प्रहर में की जाती है। सावन शिवरात्रि के दिन प्रथम प्रहर की पूजा का समय शाम 07 बजकर 21 मिनट से रात 09 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। इसका बाद द्वितीय प्रहर की पूजा टाइमिंग रात 09 बजकर 54 मिनट से रात 12 बजकर 27 मिनट तक की जाएगी। तृतीय प्रहर की पूजा का समय रात 12 बजकर 27 मिनट से सुबह 03 बजे तक और सुबह 03 बजे से सुबह 05 बजकर 33 मिनट तक पूजा का चतुर्थ प्रहर रहेगा। सावन मास की शिवरात्रि के व्रत पारण का शुभ मुहूर्त 16 जुलाई को सुबह 05 बजकर 33 मिनट से दोपहर 03 बजकर 54 मिनट तक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, व्यक्ति को सावन मास में सात्विक भोजन करना चाहिए। प्याज, लहसुन आदि नहीं खाना चाहिए। सावन मास में मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। सावन महीने में भगवान शिव की अराधना ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए। इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। सावन के सोमवार का व्रत करना चाहिए।
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